Sant Pravar Shri Vigyandeo Ji Maharaj

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कश्मीर से कन्याकुमारी राष्ट्रव्यापी स्वर्वेद सन्देश यात्रा पूर्ण कर काशी पहुंचे संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज29 ज...
06/11/2025

कश्मीर से कन्याकुमारी राष्ट्रव्यापी स्वर्वेद सन्देश यात्रा पूर्ण कर काशी पहुंचे संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज

29 जून को श्रीनगर के ऐतिहासिक लाल चौक पर तिरंगा फहराकर आरम्भ हुई संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज की राष्ट्रव्यापी स्वर्वेद सन्देश यात्रा देश के 25 राज्य तथा 4 केंद्र शासित प्रदेशों में आध्यात्मिक ज्ञान का संदेश पहुँचाती हुई कन्याकुमारी में विधिवत सम्पन्न हुई। जिसके उपरांत संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज गुरुवार को स्वर्वेद महामंदिर धाम, वाराणसी पहुँचे ।

संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज
ने इस राष्ट्रव्यापी यात्रा में 41,365 किलोमीटर की दूरी सड़क मार्ग से पूर्ण की।

स्वर्वेद महामंदिर धाम धाम पहुँचने पर शंखध्वनि और मंत्रोच्चारण के मध्य, संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने विहंगम योग के प्रणेता महर्षि सदाफल देव जी महाराज की प्रतिमा पर लौंग और इलायची से बनी प्राकृतिक माला से माल्यार्पण किया।

इस अवसर पर महाराज जी ने उपस्थित भक्तों को सन्देश दिया कि विश्व की आदि संस्कृति हमारी भारतीय संस्कृति ही है। भारत मे रहकर हम भारत से अलग नहीं हो सकते। कश्मीर से कन्याकुमारी तक कोई जमीन का टुकड़ा नहीं है भारत, यह भूमि मात्र नहीं है अपितु यह हमारी मातृभूमि है।

स्वर्वेद सन्देश यात्रा के दौरान देशभर में जनमानस के मध्य 25–26 नवम्बर को स्वर्वेद महामंदिर धाम में होने वाले 25,000 कुण्डीय महायज्ञ के लिए व्यापक जागृति दिखी।

सुपूज्य संत प्रवर श्री के आगमन पर भक्त–शिष्यों के जयघोष से सम्पूर्ण महामंदिर धाम परिसर भक्ति और उत्साह से गूँज उठा।

 #कश्मीर_से_कन्याकुमारी साढ़े चार माह, अनवरत सड़क मार्ग से 38,752 किलोमीटर से अधिक की पावन यात्रा…उत्तर के हिमालय शिखरों ...
03/11/2025

#कश्मीर_से_कन्याकुमारी
साढ़े चार माह, अनवरत सड़क मार्ग से 38,752 किलोमीटर से अधिक की पावन यात्रा…
उत्तर के हिमालय शिखरों से आरंभ हुई यह स्वर्वेद यात्रा,
देश के 25 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में आत्मज्ञान, एकता और शांति का दीप प्रज्वलित करती हुई
भारत के अंतिम छोर — कन्याकुमारी में भव्य रूप से सम्पन्न हुई।

इस विराट यात्रा के दौरान जहाँ-जहाँ संकल्प यात्रा कार्यक्रम आयोजित हुए,
वहाँ जनमानस में आत्मिक चेतना की अभूतपूर्व लहर उठी —

इस समग्र यात्रा के संचालन में विहंगम योग संत समाज के सभी साधकों, सेवाव्रतियों और समर्पित भक्तों का अमूल्य योगदान रहा।
उनके अनुशासन, निष्ठा और अखंड सहयोग से यह आध्यात्मिक अभियान सम्पूर्ण भारत में एक चेतनात्मक प्रेरणा-स्रोत के रूप में प्रतिष्ठित हुआ।

समापन समारोह में स्थानीय विधायक सहित अनेक विशिष्ट अतिथियों ने पधारकर
इस ऐतिहासिक यात्रा की सफलता में अपनी सहभागिता प्रदान की।
बालक-बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत मनोहर सांस्कृतिक लोकनृत्य
ने सम्पूर्ण वातावरण को आस्था, आनंद और भारतीयता के रंगों से आलोकित कर दिया।

संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज के मुखारविंद से प्रवाहित “जय स्वर्वेद कथा” के अमृतरस ने श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।
अनेक नव-जिज्ञासु आत्माओं को विहंगम योग साधना का उपदेश प्राप्त हुआ।

कन्याकुमारी की यह पावन भूमि — जहाँ तीनों सागरों का संगम होता है,
आज साक्षी बनी ज्ञान, करुणा और कर्तव्य के इस अद्वितीय संगम की।

अब सम्पूर्ण भारत की चेतना समर्पण दीप अध्यात्म महोत्सव की ओर अग्रसर है —
जहाँ एक दीप जलेगा सेवा, संस्कार और संस्कृति के नाम।

संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज कन्याकुमारी से स्वर्वेद महामंदिर धाम उमरहाँ, वाराणसी के लिए सड़क मार्ग से (2520 KM) प्रस्थान कर चुके हैं।

✨ जय स्वर्वेद! जय भारत!

कश्मीर से कन्याकुमारी तक — स्वर्वेद सन्देश यात्रा अंतिम पड़ाव की ओर तमिलनाडु की सांस्कृतिक भूमि चेन्नई और कोयंबटूर में त...
02/11/2025

कश्मीर से कन्याकुमारी तक — स्वर्वेद सन्देश यात्रा अंतिम पड़ाव की ओर

तमिलनाडु की सांस्कृतिक भूमि चेन्नई और कोयंबटूर में तथा केरल की पुण्यभूमि कोच्चि और कन्नूर में स्वर्वेद सन्देश यात्रा ने दक्षिण भारत में अपनी दिव्य गूँज बिखेरी।

हर स्थल पर स्वर्वेद का संदेश नई चेतना बनकर प्रस्फुटित हुआ — अनेक नए जिज्ञासुओं ने श्रद्धा और भाव से
‘जय स्वर्वेद कथा’ का आनन्दलाभ प्राप्त किया।

अब तक सड़क मार्ग से 38,342 किलोमीटर की निरंतर यात्रा पूर्ण करते हुए,
यह पावन यात्रा कन्याकुमारी की ओर अग्रसर है —
जहाँ भारत का अंतिम छोर भी स्वर्वेद प्रकाश से दीप्त होगा।

#स्वर्वेद_सन्देश_यात्रा

स्वर्वेद सन्देश यात्रा — सेवा और समर्पण का प्रेरक प्रवाह दक्षिण भारत की पावन धरती पर इन दिनों राष्ट्रव्यापी स्वर्वेद सन्...
29/10/2025

स्वर्वेद सन्देश यात्रा — सेवा और समर्पण का प्रेरक प्रवाह

दक्षिण भारत की पावन धरती पर इन दिनों राष्ट्रव्यापी स्वर्वेद सन्देश यात्रा
आध्यात्मिक चेतना का उजियारा फैला रही है।
इसी श्रृंखला में कर्नाटक के शिवमोगा और मैसूर के कार्यक्रमों के मध्य,
28 अक्टूबर को बेंगलुरु में संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज के
पावन जन्मोत्सव के अवसर पर एक वृहत् रक्तदान शिविर सम्पन्न हुआ।

🩸 सैकड़ों भक्तों ने श्रद्धा और उत्साह से रक्तदान कर
मानवता की सेवा में अपने भावों का अर्पण किया।
स्वयं संत प्रवर श्री ने भी रक्तदान करते हुए संदेश दिया —
“दुःखियों का दुःख कम करना ही श्रेष्ठ चिंतन है।”
एक यूनिट रक्तदान से तीन जीवनों में नवप्राण भरे जा सकते हैं।
रक्त किसी प्रयोगशाला में नहीं, केवल मानव शरीर में ही निर्मित होता है —
इसलिए इसका दान केवल एक सेवा नहीं, बल्कि जीवनदान का पवित्र उपहार है।

🩸 रक्तदान कर हम केवल रक्त नहीं देते,
बल्कि मानवता की धड़कन को जीवित रखते हैं।
स्वर्वेद सन्देश यात्रा के प्रत्येक स्थल पर
एक नया उत्साह, एकता और संकल्प
आगामी 25,000 कुण्डीय महायज्ञ एवं
‘समर्पण दीप’ अध्यात्म महोत्सव की दिशा में प्रज्वलित हुआ।

 #स्वर्वेद_सन्देश_यात्रा के क्रम में दक्षिण भारत की हैदराबाद एवं बेंगलुरु की पुण्यभूमि पर आध्यात्मिक चेतना का एक नया दीप...
27/10/2025

#स्वर्वेद_सन्देश_यात्रा के क्रम में दक्षिण भारत की हैदराबाद एवं बेंगलुरु की पुण्यभूमि पर आध्यात्मिक चेतना का एक नया दीप प्रज्वलित हुआ।

दीप-प्रज्वलन के उपरांत गूँजे राष्ट्रगान के स्वर — जिसने वातावरण को राष्ट्रभावना की पवित्र ध्वनि से अनुप्राणित कर दिया।

परंपरा अनुसार उत्साह के साथ
सुपूज्य संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज का मंगल-अभिनंदन हुआ।

इसके पश्चात आरंभ हुई जय स्वर्वेद कथा —
जिसमें संत प्रवर जी ने जीवन की सार्थकता और मानवता की जागृति के दिव्य सूत्र सरल, अनुभवशील और हृदयस्पर्शी शैली में प्रकट किए।
प्रत्येक शब्द ने मानो भीतर की ज्योति को स्पंदित कर दिया।

अंत में, समस्त साधक-भक्तों ने
आगामी महायज्ञ हेतु सेवा-संकल्प लिया,
जिसमें सेवा को आत्मिक समर्पण के रूप में स्वीकार किया गया।

और जब संत प्रवर जी के कर-कमलों से प्रसाद की प्राप्ति हुई,
तब सभी ने अनुग्रह, आनंद और स्नेह का वह दिव्य स्पर्श अनुभव किया
जो हृदय में शांति, समर्पण और प्रेरणा का दीप प्रज्वलित कर देता है।

कश्मीर से कन्याकुमारी की ओर आत्मजागरण से राष्ट्रजागरण का दिव्य संदेश लिए स्वर्वेद सन्देश यात्रा निरंतर आगे बढ़ रही है।पं...
25/10/2025

कश्मीर से कन्याकुमारी की ओर आत्मजागरण से राष्ट्रजागरण का दिव्य संदेश लिए स्वर्वेद सन्देश यात्रा निरंतर आगे बढ़ रही है।

पंचम चरण का शुभारम्भ आंध्रप्रदेश के विशाखापत्तनम से हुआ,
जहाँ संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज की जय स्वर्वेद कथा ने श्रद्धालुओं के हृदय में नव ऊर्जा और आत्मिक चेतना का प्रकाश जगाया।
वहीं विहंगम योग ध्यान ने मन को गहन शांति और अंतर्यात्रा की ओर उन्मुख किया।
स्वर्वेद ज्ञान और ध्यान-साधना का यह संगम साधकों के जीवन में नया मार्ग, नई प्रेरणा और नई अनुभूति लेकर आया।

आगामी विशेष आध्यात्मिक अवसर
25-26 नवम्बर
स्वर्वेद महामंदिर धाम, वाराणसी

यहाँ होने जा रहा है —
25000 कुण्डीय महायज्ञ
और
समर्पण दीप अध्यात्म महोत्सव

जहाँ एक-एक दीप होगा —
करुणा, संस्कृति और राष्ट्रभाव का प्रतीक।

इस महान यज्ञीय अनुष्ठान में सम्मिलित हों
और अपनी भावना का एक समर्पण दीप जलाएँ,
जो मानवता के मार्ग को सदैव आलोकित करता रहेगा।

23/10/2025
कश्मीर से कन्याकुमारी तक मानवता, संस्कृति और आत्मजागरण का संदेश लेकर चल रहीस्वर्वेद सन्देश यात्रा का चतुर्थ चरण भव्य रूप...
18/10/2025

कश्मीर से कन्याकुमारी तक मानवता, संस्कृति और आत्मजागरण का संदेश लेकर चल रही
स्वर्वेद सन्देश यात्रा का चतुर्थ चरण भव्य रूप से सम्पन्न हुआ।

इस चरण में यात्रा ने पूर्वोत्तर भारत की पावन धरती —
जोरहाट, दिमापुर, तेजपुर, शिलॉंग, गुवाहाटी और इंफाल (मणिपुर) — को भी स्पर्श किया।

हर स्थल पर श्रद्धा और उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिला।
भक्तों ने गहरी श्रद्धा के साथ संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज के मुखारविन्द से प्रवाहित “जय स्वर्वेद कथा” का श्रवण किया,
जिससे आत्मजागरण और जीवन-प्रेरणा की नई ऊर्जा उत्पन्न हुई।

विहंगम योग के ध्यान-सत्रों में साधकों ने आत्मशांति और एकाग्रता का सजीव अनुभव किया।

आगामी 25–26 नवम्बर को स्वर्वेद महामंदिर धाम में आयोजित
25,000 कुण्डीय महायज्ञ एवं समर्पण दीप महोत्सव हेतु
भक्तों और श्रद्धालुओं ने हृदय की गहराइयों से सेवा का संकल्प लिया है।

जहाँ सूर्य सबसे पहले भारत भूमि को स्पर्श करता है, वहीँ की पावन धरती — अरुणाचल प्रदेश के नामसाई में सम्पन्न हुआ स्वर्वेद ...
12/10/2025

जहाँ सूर्य सबसे पहले भारत भूमि को स्पर्श करता है, वहीँ की पावन धरती — अरुणाचल प्रदेश के नामसाई में सम्पन्न हुआ स्वर्वेद सन्देश यात्रा का भव्य आयोजन।
पूर्व दिशा की यह भूमि, जो प्रभात, प्रकाश और नवीन चेतना का प्रतीक है, आज स्वर्वेद ज्ञान से आलोकित हो उठी।

यहाँ संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने विहंगम योग ध्यान की अनुपम विधि द्वारा नए जिज्ञासुओं को आत्मानुभूति का प्रथम स्पर्श कराया।

स्वर्वेद के ज्ञान-प्रसाद से उत्पन्न आंतरिक प्रकाश ने साक्षात् सूर्य के प्रकाश को भी नया अर्थ दे दिया —
“बाह्य सूर्य देह को प्रकाशित करता है, पर आत्मा को प्रकाशित करता है — स्वर्वेद का ज्ञान।”

इसी अवसर पर सम्पन्न हुआ 251 कुण्डीय वैदिक महायज्ञ,
जिसकी वेद-मंत्रों की गूँज और यज्ञ-अग्नि की तेजस्विता ने सम्पूर्ण वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति के आलोक से भर दिया।

इस ऐतिहासिक अवसर पर अरुणाचल प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री श्री चोवना मेन जी , मंत्री श्री ओजिंग तासिंग जी सहित विधायक एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
सभी ने संत प्रवर श्री के मार्गदर्शन में विहंगम योग की ध्यान-साधना का अभ्यास किया और आंतरिक शांति का अनुभव प्राप्त किया।
उन्होंने स्वर्वेद सन्देश यात्रा के उद्देश्य — मानवता, संस्कृति और आत्मजागरण — की हृदय से प्रशंसा की।

इसके साथ ही प्रस्तुत हुए स्थानीय कलाकारों के सांस्कृतिक कार्यक्रम,
जिनमें अरुणाचली लोकनृत्य और नाट्य-प्रस्तुतियों ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

नामसाई की पूर्वाचली भूमि से उठी स्वर्वेद की प्रभा, अब हृदयों में ज्ञान और चेतना का नया प्रभात जगा रही है।

स्वर्वेद सन्देश यात्रा के चतुर्थ चरण की पावन शुरुआत हिमालय शून्यशिखर आश्रम से हुई।आध्यात्मिक ऊर्जा से आलोकित यह यात्रा क...
12/10/2025

स्वर्वेद सन्देश यात्रा के चतुर्थ चरण की पावन शुरुआत हिमालय शून्यशिखर आश्रम से हुई।
आध्यात्मिक ऊर्जा से आलोकित यह यात्रा कोलकाता से आगे बढ़ते हुए
गंगटोक (सिक्किम), सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) और डिब्रूगढ़–चाबुआ (असम) की पावन भूमि पर अपनी गूँज बिखेर चुकी है,!

संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज की दिव्य वाणी और साधना-सुगंध
पूर्वोत्तर भारत की वादियों में नई चेतना का संचार कर रही है।

जहाँ-जहाँ यात्रा पहुँची — वहाँ-वहाँ नये जिज्ञासुओं ने विहंगम योग साधना का अभ्यास कर
जीवन को आत्मिक शांति और ज्ञान की दिशा में मोड़ा।

उत्तर-पूर्व की पवित्र वायु में अब गूँज रहा है — “स्वर्वेद” का दिव्य सन्देश!
ज्ञान, भक्ति और साधना की यह धारा अब हृदय से हृदय तक प्रवाहित हो रही है।

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