महाकाली ज्योतिष अनुसंधान एवं परामर्श

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महाकाली ज्योतिष अनुसंधान एवं परामर्श भाग्य के पीछे भी भाग्य के आगे भी आप अपनी दुनिया बदल सकते हैं ग्रहों के साथ
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भैरव रक्षा कवच /ताबीज ================बालकों -पुरुषों के लिए विशेष उपयोगी ======================      भगवान् भैरव शिव जी...
26/05/2024

भैरव रक्षा कवच /ताबीज
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बालकों -पुरुषों के लिए विशेष उपयोगी
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भगवान् भैरव शिव जी के अंश हैं और इनके सभी स्वरुप रक्षा ,संहार और वरदान के साथ पूर्णता देने वाले हैं |मुख्यतया काल भैरव ,स्वर्णाकर्षण भैरव और बटुक भैरव की ही स्वतंत्र उपासना की जाती है जबकि मुख्य आठ भैरव होते हैं |कुल भैरवों की संख्या कहीं ५२ तो कहीं १०८ मानी जाती है |सभी महाविद्यायें और देवी शक्तियों के साथ उनके भैरव स्वरुप भी जुड़े होते हैं जिनके बिना उनकी पूर्णता नहीं होती |भैरव जी की कृपा के दो रास्ते होते हैं एक तो उनकी पूजा ,आराधना ,उपासना या साधना की जाय तब उनकी कृपा मिलती है ,दुसरे यदि उनके मंत्र से अभिमंत्रित कवच ताबीज धारण किया जाय तब उनकी कृपा मिलती है |जो लोग साधना ,उपासना न कर सकें उनके लिए कवच धारण करना बेहद लाभप्रद होता है |
भैरव कवच या ताबीज बालकों और पुरुषों के लिए विशेष लाभप्रद होता है जो उनकी सुरक्षा तो करता ही है उनकी आतंरिक शक्ति और आत्मबल में भी वृद्धि करता है |भैरव रक्षा कवच धारण करने से साधना ,उपासना ,पूजा की सफलता बढ़ जाती है |कोई त्रुटी हो जाय पूजा ,उपासना में तो सुरक्षा रहती है |पूजा ,उपासना समय होने वाले नकारात्मक शक्तियों के आक्रमण या दुष्प्रभाव से बचाव होता है |साधक के शरीर की सुरक्षा रहती है |भैरव रक्षा कवच धारण करने वाले की नजर दोष ,तंत्र क्रिया ,टोने -टोटके ,तांत्रिक अभिचार से रक्षा होती है |पौरुष की वृद्धि होती है |नकारात्मकता का शमन होता है |आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है |साहस ,कर्मठता ,पराक्रम की वृद्धि होती है |नपुंसकता में लाभ होता है |बल -वीर्य -ओज की वृद्धि होती है |आलस्य ,प्रमाद से हानि कम करता है |भय -डर -आशंका ,बुरे सपने ,स्वप्नावस्था में भय में राहत मिलती है |
भैरव रक्षा कवच धारण से सफलता -उन्नति बढ़ जाती है और व्यक्तित्व की प्रभावशालिता ,वाणी प्रभाव ,कार्यशैली में परिवर्तन आता है |किसी वायव्य बाधा ,भूत -प्रेत आक्रमण से बचाव होता है |आवागमन समय होने वाले नकारात्मक प्रभावों से बचाव होता है |रात्री समय प्रभावित करने वाली बाहरी बाधाओं और शक्तियों के लिए यह कवच अवरोधक् का काम करता है |किसी आत्मा अथवा शक्ति द्वारा किसी प्रकार का मानसिक ,शारीरिक शोषण हो रहा हो तो वह कम हो जाता है |किसी पर कोई मारण ,उच्चाटन ,वशीकरण की क्रिया की जा रही हो तो उसका प्रभाव क्षीण करता है |हीन भावना ,डिप्रेसन ,तनाव ,मानसिक अस्थिरता में राहत मिलती है |यदि नकारात्मक प्रभाव के कारण किसी रोग व्याधि में दवा काम न कर रही हो तो नकारात्मकता के प्रभाव को कम करता है |
इस प्रकार भैरव रक्षा ताबीज अपने आप में एक सम्पूर्ण सुरक्षा कवच है जो व्यक्ति को अनेकों लाभ भी देता है और सुरक्षा भी देता है अतः यह आज के समय में अत्यधिक उपयोगी है |धारणीय ताबीज को भैरव यन्त्र को भैरव मन्त्रों से अभिमंत्रित करके भैरव से सम्बन्धित वस्तुओं के साथ चांदी के कवच में भरकर बनाया जाता है जिसे गले में अथवा बाजू में धारण किया जाता है |यदि कोई व्यक्ति उपरोक्त किसी समस्या से पीड़ित है तो उसके लिए भैरव रक्षा कवच लाभदायक होगा |………………...हर हर महादेव

चितबदला से वशीकरण और मोहन ===================मन -चित्त -स्वभाव बदलती है यह तांत्रिक जड़ी -बूटी --------------------------...
26/05/2024

चितबदला से वशीकरण और मोहन
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मन -चित्त -स्वभाव बदलती है यह तांत्रिक जड़ी -बूटी
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हमसे प्रतिदिन दर्जनों लोग फोन काल पर संपर्क कर पूछते रहते हैं की क्या हम चितबदला देते हैं ,चूंकि हमने चितबदला से सम्बन्धित दो विडिओ पहले भी यू ट्यूब पर पोस्ट किये हैं ,किन्तु जानकारी के लिए हम अपने दर्शकों से कहना चाहेंगे की पहले हम इसे रखते थे किन्तु दो कारणों से बीच में रखना बंद कर दिया था |एक तो यह की यह बाजार में तांत्रिक जड़ी बूटी वालों के पास बहुत सस्ता मात्र ५० रूपये का मिल जाता है पर सीधे वहां से लेकर देने पर यह काम नहीं करता और जब हम इसे तांत्रिक पद्धति से अभिमंत्रित करते हैं तो इसकी कीमत १००० रूपये से अधिक हो जाती है जो लोग देते नहीं हैं |दूसरा कारण यह की लोग इसका दुरुपयोग बहुत अधिक करते हैं ,जहाँ जरूरत नहीं और पात्रता नहीं वहां भी इसे प्रयोग करते हैं |
ग्रामीण अंचलों में विशेषकर उत्तर प्रदेश ,बिहार ,बंगाल ,छत्तीसगढ़ ,मध्यप्रदेश आदि उत्तरी -पूर्वी भारत के गावों में अथवा परम्परागत तांत्रिक किसी का स्वभाव बदलने के लिए एक जड़ी -बूटी का प्रयोग करते हैं जिसे चितबदला कहते हैं |भारत के दुसरे हिस्सों में भी इसे अलग नामों से हो सकता है प्रयोग किया जाता हो | अधिकतर लोग इसका दुरुपयोग करते हैं तथा अपनी प्रेमी प्रेमिका को खिला पिलाकर वशीभूत करने का प्रयत्न करते हुए इसका दुरुपयोग करते हैं जबकि वह तांत्रिकों से बोलते हैं की वह बहुत दुखी हैं और अपने पति या पत्नी को ही देंगे फिर भी ज्यादातर दुरुपयोग ही सामने आता है |लोग पूछते हैं तो हम बताना चाहेंगे की यह गावों आदि के तांत्रिक ,ओझा ,गुनिया ,भगत के द्वारा मिलेगा जिसे वह अभिमंत्रित करके देते हैं और यह समझकर की किस व्यक्ति को कैसा चितबदला देना है ,क्योंकि चितबदला में भी कई प्रकार होते हैं और इसमें नर मादा भी होता है जो अलग अलग व्यक्तियों को जरूरत के अनुसार दिया जाता है |
हम आपको बताना चाहेंगे की , चितबदला कुछ पौधों और उसके फल का नाम तंत्र जगत में जाना जाता है |इसका वानस्पतिक नाम और भातीय नाम तो हमें भी नहीं पता पर इसके प्रयोग के किस्से हम बचपन से ही अपने गाँव के जीवन से सुनते आ रहे हैं |यह पारंपरिक गाँव आदि के तांत्रिकों द्वारा विशेष रूप से प्रयोग की जाने वाली तांत्रिक वनस्पति है जिसके पूरे पौधे का ही प्रयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए होता है विशेषकर वशीकरण और चित्त बदलने के लिए |वास्तव में चितबदला नाम से ५ प्रकार की वनस्पतियाँ देखने में आती हैं |इसके प्रयोग की एक विशेष तकनीक है और यह खिलाने -पिलाने की वस्तु के रूप में प्रयोग की जाती है |
इसको विशेष तांत्रिक पद्धति से खिलाने के बाद व्यक्ति की सोच ,स्वभाव खिलाने वाले के प्रति बदल जाती है |चितबदला के नाम से कई वनस्पतियाँ बाजार और तांत्रिक जड़ी बूटी वालों के यहाँ मिलती हैं |इसको पहचानना और उसका पूर्ण उपयोग जानना ही महत्वपूर्ण है |लकड़ी रूप में ,फल रूप में ,छोटी जड़ी रूप में भी यह मिलता है |फल में भी नर -मादा दोनों होते हैं |दोनों का प्रयोग अलग -अलग होता है और दोनों स्त्री या पुरुष को अलग अलग दी जाती हैं |जड़ का प्रयोग अलग और फल का प्रयोग अलग होता है |
चितबदला का प्रयोग सास -ससुर ,पति अथवा पत्नी ,मित्र ,विरोधी ,बच्चे किसी के लिए भी उसे वश में करने या उसका चित्त बदलने ,स्वभाव बदलने के लिए किया जा सकता है |इसके प्रयोग के बाद व्यक्ति को पता भी नहीं चलता और वह अपने स्वयं के चेतन में सबकुछ जानते समझते हुए भी खिलाने -पिलाने वाले के प्रति वशीभूत होने लगता है |उसके स्वभाव में परिवर्तन आने लगता है और उसका चित्त अर्थात मन बदलने लगता है |इसके प्रयोग में एक विशेष मंत्र का प्रयोग अभिमन्त्रण में किया जाता है जिसे हम यहाँ पर समाज हित में नहीं दे रहे ताकि कोई इसका दुरुपयोग न कर सके |इसी प्रकार इसको सप्ताह के विशेष दिन खिलाने पिलाने पर अधिक प्रभाव प्राप्त होता है |तांत्रिक प्रयोग के लिए इसका संग्रह भी विशेष दिन और विशेष तांत्रिक पद्धति से किया जाता है |जो लोग वास्तव में अपने परिजन अथवा पति -पत्नी से परेशान हैं वह उत्तर प्रदेश ,बिहार के गावों के तांत्रिक ,ओझा ,गुनिया या भगत से प्राप्त कर अपना उद्देश्य पूरा कर सकते हैं |अन्य प्रदेशों में भी इसका प्रयोग होता होगा किन्तु वहां इसका नाम सम्भवतः बदल गया होगा जिसकी हमें जानकारी नहीं |................................................हर-हर महादेव

नीच ग्रह°=°=°=°=°=°=°=°=°=°=°=°=°=°=°°°सौ प्रतिशत बुरे (नामुकम्मल) फल देनेवाले ग्रह 'नीच' कहलाते हैं।°=°=°=°=°=°=°=°=°=°...
29/03/2024

नीच ग्रह

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सौ प्रतिशत बुरे (नामुकम्मल) फल देनेवाले ग्रह 'नीच' कहलाते हैं।
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प्रत्येक ग्रह अपने सुनिश्चित घर में, स्थानों का स्वामी हो तो सदा अच्छा फल देगा। जैसे मंगल पहले और आठवें में तथा बृहस्पति नौवें व बारहवें में । परंतु जब कोई ग्रह ऐसे घर में बैठा हो जो उसके लिए उच्च माना गया हो और उसका शत्रु ग्रह उसके सामने के घर में बैठ जाए तो वह अपना उचित फल नहीं देगा।
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29/03/2024

उच्च ग्रह
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कोई ग्रह अपने से अधिक शक्तिमान, शत्रु ग्रह से युक्त या दृष्ट हो तो वह 'निर्बली' बन जाता है एवं अपने घर के शुभ फल देने में असमर्थ रहता है।

अगर जन्मकुंडली में मेष का सूर्य, वृषभ का चंद्र, मिथुन का राहु, कर्क का बृहस्पति, कन्या का बुध, तुला का शनि, धनु का केतु, मकर का मंगल, मीन का शुक्र उच्च ग्रह का कार्य करेगा। लाल किताब के अनुसार 5, 8, 11 घरों में कोई ग्रह उच्च या नीच का नहीं होता।

'उच्च ग्रही जातकों हेतु निषेध°=°=°=°=°=°°°

उच्च ग्रहों के जातकों के लिए कुछ निषेध बताए गए हैं जो निम्नानुसार हैं :

1. उच्च बृहस्पतिवाला जातक यदि देवता, ब्राह्मण, अपने पिता, बाबा आदि का अपमान करे तो उच्च बृहस्पति अपना फल नहीं देगा।

2. उच्च शनिवाला जातक यदि शराब, मांस, अंडे का सेवन करें और अपने चाचा, ताऊ का अपमान करे तो उच्च शनि अपना फल नहीं देगा।

3. उच्च चंद्रवाला जातक यदि अपनी माता, दादी का अपमान करे तो उच्च चंद्र अपना फल नहीं देगा।

4. उच्च बुधवाला जातक यदि देवी, कन्या, बहन, बुआ आदि में से किसी कां भी अपमान करे तो उच्च बुध अपना फल नहीं देगा।

5. उच्च शुक्रवाला जातक यदि स्त्री जाति (अपनी पत्नी भी) एवं गाय को अपमानित करे तो उच्च शुक्र अपना फल नहीं देगा।

6. उच्च मंगलवाला जातक यदि अपने भाई, मित्र या अन्य किसी के साथ • विश्वासघात करे या उनका अपमान करे तो उच्च मंगल अपना फल नहीं देगा। ग्रहों का जातक के परिवार से संबंध

ग्रहों से जातक के परिवार की स्थिति समझने में मदद मिलती है। जातक के परिवार से ग्रहों का संबंध निम्न प्रकार रहता है :
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सूर्य: राज्य, सत्ता, चंद्र : माता, दादी, मंगल : भाई, मित्र, बुध: पुत्री, बहन, बुआ, बृहस्पति: ब्राह्मण, पिता, दादा, शुक्र : पत्नी, शनि: चाचा, ताऊ, राहु: ससुराल, ननिहाल तथा केतुः पुत्र ।
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29/03/2024

राशियों के भी वर्ण होते हैं °=°=°=°=°=°=°=°=°°°
जैसे—वृषभ, वृश्चिक, मीन—ये तीन राशियां ब्राह्मण वर्ण की हैं। मेष, सिंह, धनु—ये तीन राशियां क्षत्रिय वर्ण की हैं। मिथुन, तुला, कुंभ—ये तीन राशियां वैश्य वर्ण की हैं। कर्क, कन्या, मकर-ये तीन राशियां शूद्र वर्ण की हैं।

राशियों के वर्ण°=°=°=°=°=°=°=°=°°°
विभिन्न राशियों में जन्मे जातकों के गुण भी वर्ण विशेष के अनुसार होते हैं। जैसे—ब्राह्मण वर्ण में जन्मे सात्विक, क्षत्रिय और वैश्य वर्ण में जन्मे राजसी एवं शूद्र वर्ण में जन्मे जातक तामसी होंगे। यह निर्विवाद सत्य है कि जाति या वर्ण हमारे ही बनाए हुए हैं। एक ब्राह्मण के घर में शूद्र जन्म ले सकता है और एक शूद्र बाह्मण के घर जन्म ले सकता है। किसी ब्राह्मण के घर में कर्क, कन्या, मकर राशि या लग्न के जातक शूद्र जाति के होते हैं और किसी कंतु,मगल,शुक्र,शनि,चंद्र,बुध,बृहस्पति,राहु

शूद्र के घर में वृषभ, वृश्चिक और मीन लग्न या राशि के उत्पन्न जातक ब्राह्मण होते हैं।

जो ग्रह स्वगृही, उच्च राशि में, केंद्र त्रिकोण में हो वह ग्रह उच्च या बलवान कहलाता है।

जो ग्रह छठे, आठवें या बारहवें घर में हो वह ग्रह 'निर्बली' या कमजोर।
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जोड़ेवाले बारह घरों का फल°=°=°=°=°=°=°=°=°=°=°=°=°=°=°=°इस परिच्छेद में हम जन्मकुंडली में दो ग्रहों के एक घर में रहने पर ...
29/03/2024

जोड़ेवाले बारह घरों का फल
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इस परिच्छेद में हम जन्मकुंडली में दो ग्रहों के एक घर में रहने पर जातक को मिलनेवाले फलों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

सूर्य+बुध
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कुंडली में सूर्य+बुध होने पर वे बृहस्पति का फल प्रदान करते हैं। शुभ मंगल जातक को अपने पैरों पर खड़ा करता है। जातक को सरकारी नौकरी मिलती है। दोनों ग्रहों का संयुक्त फल जातक को उम्र के 39वें वर्ष तक प्राप्त होते हैं। बुध की तुलना में सूर्य का फल विशेष प्राप्त होता है। ऐसे संदर्भ में मोटेतौर पर सूर्य का अशुभ फल नहीं मिलता लेकिन बुध दुर्बल हो सकता है। जिस घर में सूर्य का फल नीच का मिलता है, वहां बुध भी दुर्बल बनता है। बुध से संबंधित चीजें सूर्य के लिए मदद देती हैं। शुक्र की महादशा में उत्तम धन-संतान प्राप्त होती है, व्यापार-व्यवसाय में उन्नति होती है। यदि बुध दुर्बल हो तो उम्र के 40 वर्षों तक व्यापार में मंदी रहती है। जातक की 70 साल की उम्र हो तो बुध के फल स्पष्ट तौर से सामने नहीं आते।

सूर्य-बुध की युति जन्मकुंडली के किसी भी घर में हो एवं दोनों पर शनि की दृष्टि हो तो जातक को 33 एवं 39 की उम्र तक शनि संबंधी कारोबार में मुनाफा होता है।

अगर शनि की दृष्टि न हो तो तीसरे घर के अनुसार सूर्य की 10 और बुध की 3 कुल 13 की आवक होती है।

जातक दीर्घायु रहता है। मृत्यु के समय वह किसी का मोहताज नहीं होता । जातक को कलम और तालीम मददगार होती है। ऐसा जातक विद्युत प्रकाश में कारोबार करे और रात्रि के समय में विद्युत प्रकाश में लेखन करे तो उसका उत्तम फल प्राप्त होता है।

जातक का नसीब जवानी में जागता है। जातक की पत्नी दृढ़ मनोबल से युक्त रहती है। उसके चेहरे पर कोई निशान होता है।

ऐसा जातक दूसरों के भरोसे कभी न रहे, स्वयं की कमाई पर भरोसा रखकर आगे बढ़े तो शुभ परिणाम आता है। जातक खुद आगे बढ़नेवाला होता है। स्वास्थ्य उत्तम रहता है।

कुंडली के तीसरे, चौथे या पांचवें घर में शनि हो एवं सूर्य शनि का विग्रह (फसाद) न हो तो शुभ फल प्राप्त होते हैं।

पहला घर°=°=°=°=°=°=°
जातक उच्च स्तर का सलाहकार, परामर्शदाता होता है। सरकार के साथ उसके उत्तम संबंध बनते हैं। यदि शनि का बुरा असर न हो तो कोर्ट-कचहरी के फैसले जातक के हक (पक्ष) में होते हैं।

दूसरा घर°=°=°=°=°=°=°
दूसरे घर में होने पर उसका प्रभाव अच्छा होता है। जातक का मन एवं शरीर सुदृढ़ रहता है।

तीसरा घर °=°=°=°=°=°
यहां सूर्य-बुध का होना उत्तम फलदायी होता है। राहु का बुरा असर जातक पर नहीं होता। शुक्र शुभ होने पर राहु बिगड़ता है। फलस्वरूप जातक आशिक मिजाज होता है, पर उसकी बदनामी नहीं होती।

चौथा घर°=°=°=°=°=°=°
जातक सरकारी कारोबार करता है। वह कपड़े व रेशम के धंधे में धन कमाता है। उसे बृहस्पति की चीजों के व्यापार से लाभ होता है। सूर्य-बुध दोनों के • उत्तम फल से जातक लाभान्वित होता है। साथ ही शनि का मंदा प्रभाव भी देखने को मिलता है।"

पांचवां घर°=°=°=°=°=°=°
'सूर्य बुध की युति पांचवें घर में हो तो बुध की उम्र 17 से 34 वर्ष होती है और इस समयावधि में शनि का मंदा असर प्रकट नहीं होता। इसके कारण संतान एवं बुजुर्गों पर कोई खराब प्रभाव नहीं पड़ता। उम्र 80 वर्ष होती है।

छठा घर°=°=°=°=°=°=°
कुंडली के छठे घर में सूर्य-बुध की युति हो और दूसरा घर खाली हो तो जातक को संतान सुख बेहतर मिलता है। सत्ता में मान-प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। जातक की कलम में जान होती है। यहां मंगल का खराब असर मिट जाता है और शनि के प्रभाव का प्रारंभ होता है।

सातवां घर°=°=°=°=°=°
ग्रहां शुक्र का प्रभाव मंदा हो जाता है। पत्नी का भाग्य अच्छा रहेगा या बुरा- इस बात का निर्णय जन्मकुंडली में स्थित शुक्र की स्थिति से लिया जाना चाहिए। शुक्र शुभ होने पर जातक की पत्नी धनवान परिवार से होती है। वह तेजस्वी एवं पूर्ण रूप से भाग्यवान होती है। शुक्र अशुभ होने पर भी जातक की आमदनी अच्छी ही रहती है। आमदनी का लाभ उसके प्रिय व्यक्तियों को भी मिलता है। जातक असमर्थ लोगों को भी अपनी कमाई का कुछ हिस्सा देता है। जातक परिश्रम एवं अवरोधों की परवाह नहीं करता। बहुत ही आसानी से अपने संकटों का मुकाबला करने में कामयाब होता है। ज्योतिष एवं गूढ़ विद्याओं का ज्ञान जातक को रहता है।

केतु-बुध का फल 34 वर्ष की उम्र के बाद शुभ होता है। जातक की जवानी कुछ मुसीबतों में गुजरती है, परंतु बचपन एवं बुढ़ापा अच्छा बीतता है।

आठवां घर°=°=°=°=°=°=°
सूर्य-बुध दोनों जन्मकुंडली के आठवें घर में इकट्ठे हों तो बुध का अशुभ फल प्राप्त होता है। इस युति पर दूसरे ग्रहों की दृष्टि न रहने पर और भी अशुभ, फल मिलता है। दोनों ग्रहों का फल आठवें घर में शुभ मिले इसलिए कांच की बरनी (जार) में गुड़ भरकर उसे श्मशान में दबा दें।

नौवां घर°=°=°=°=°=°=°=°
इस युति का फल विद्याभ्यास एवं शासन के संदर्भ में जातक की 24 वर्ष की उम्र के बाद शुभ होता है। 34 वर्ष की उम्र के बाद चहुंमुखी उन्नति होती है। 34, वर्ष की उम्र तक जातक के लड़का नहीं होता। जातक की कन्या को भी उसकी 22. वर्ष की आयु तक पुत्र नहीं होता। जातक की तीसरी कन्या के जन्म से छह वर्ष का समय अच्छा होता है। कन्याओं में से किसी कन्या का जन्म रविवार या मंगलवार के दिन हुआ हो तो सूर्य और मंगल का उपाय करें। जातक हरे रंग से परहेज रखें।

दसवां घर°=°=°=°=°=°=°
जातक धनवान बनता है। जन्मकुंडली के प्रथम या दूसरे घर के ग्रहों की मित्रता या शत्रुता का असर भी जातक के भाग्य से जुड़ा रहता है। पहला और दूसरा घर खाली हो तो उत्तम फल प्राप्त होता है। शनि का फल उसके स्थान के अनुसार प्राप्त होता है। अशुभ शनि हो तो बदनामी होती है।

ग्यारहवां घर°=°=°=°=°=°
जातक के पैतृक घर में सज्जन, धर्मात्मा पुरुषों का निवास हो तो जातक का नसीब चमकदार रहता है। दोनों ग्रहों के शुभ-अशुभ परिणामों का संकेत जातंक के परिवार जनों के ऊपर प्रकट होता है। ऐसे परिणाम पैतृक या स्वयं के मकान के विषय में होते हैं। अगर पैतृक मकान के जहरीले या शुभ-अशुभ फल उत्पन्न करनेवाले उस मकान में रहने लगें तो उसका बुरा असर जातक के जीवन पर पड़ता है। बाप-दादों के मकान में वेश्यावृत्ति-व्यभिचार होता हो तो उसके बुरे असर की निशानी है।

बारहवां घर°=°=°=°=°=°
जन्मकुंडली के बारहवें घर में दोनों ग्रहों के अलग-अलग स्वतंत्र फल प्राप्त होते हैं। बुध का सूर्य पर अशुभ प्रभाव देखने में नहीं आता। सरकारी कामकाज या शारीरिक अशुभ प्रभाव को टालने के लिए जातक अपने शरीर पर सोना धारण करे। गले में तांबे का पैसा बांधे।

पारिवारिक दृष्टि से बुध से संबंधित सजीव या निर्जीव वस्तु, व्यापार या रिश्तेदारों का व्यर्थ बोझ जातक पर बना रहता है। स्वास्थ्य बिगड़ता है। नस (नाड़ी-स्नायु) से संबंधित बीमारी उत्पन्न होती है। इस घर का बुध छठे घर में बैठे ग्रहों को निर्बल बनाता है।
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24/03/2024

मंदी हालत (सूर्य 6, 7, 10, मंगल अशुभ 1, 4, 8)

जब मंगल अशुभ हो तो जीवन में कड़ा विरोध सहना पड़ता है। धोखेबाजी, सगे-संबंधियों की मृत्यु देखनी पड़ती है। खुद की नजर पर भी बुरा असर होता है।
========हर हर महादेव=======

24/03/2024

सूर्य+मंगल
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सूर्य और मंगल अग्नि के स्वरूप हैं। दोनों ग्रह शुद्ध करनेवाले, आगे बढ़ानेवाले और अच्छे फलदायी होते हैं। सूर्य+मंगल जन्मकुंडली में होने पर चंद्र के शुभ फल प्राप्त नहीं होते। यहां चंद्र खामोश बैठता है। जातक अपने कुल का तारनहार होता
है। शुभ अवस्था में जन्मकुंडली के किसी भी घर में होने पर शुभ फल मिलता है। आर्थिक दृष्टि से तथा माता की दृष्टि से फल अच्छे नहीं मिलते। 5, 7, 9 में से. किसी घर में कोई अन्य ग्रह बैठा हो तो मंगल का असर बुरा होता है। ऐसी स्थिति में जातक अपाहिज या तपेदिक का रोगी होता है। प्रायः ऐसे जातक लोकसेवा या समाज सेवा के कामों से जुड़े रहते हैं।

जातक को चौरस मकान लाभकारक रहता है। जातक स्वयं और उसका बड़ा भाई दोनों अमीर होते हैं। जातक साफ दिल का, पक्का धार्मिक होता है। जैसे-जैसे जातक की उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे समाज में एवं सरकार (दरबार) में उसे • प्रतिष्ठा प्राप्त होती जाती है।

कुंडली के पहले या दूसरे घर में यह युति हो तो जातक छोटी उम्र में ही तेजस्वी बनता है। जातक स्पष्ट वक्ता, खुले मन का, उदार हृदयी, दीर्घायु एवं शत्रुहंता होता है।

नवम स्थान में सूर्य-मंगल की शुभ युति होने पर जातक मान-प्रतिष्ठा से युक्त, सुख-समृद्धि प्राप्त करनेवाला होता है। इस युति में यदि मंगल अशुभ हो तो भाई-बांधवों में जमीन-जायदाद को लेकर लड़ाई-झगड़े होते हैं।

: दसवें घर में होने पर जातक को धनवान, भाग्यवान बनाती है। अशुभ हो तो भाई रुपया-पैसा लेकर भाग जाता है और कोर्ट-कचहरी करनी पड़ती है। ग्यारहवें में शनि और चंद्र छठे में हो एवं सूर्य-मंगल युति दसवें घर में हो तो जातक बहुत धनवान और उच्च पद पर आसीन होता है।

सूर्य-मंगल युति में मंगल मंदा हो तो जातक को पैतृक मकान मिलता है। समाज में उसे अपमानित होना पड़ता है। व्यापार-व्यवसाय या नौकरी में दंगा-फसाद होता है। धोखाधड़ी के कारण जातक को हानि उठानी पड़ती है। जातक दीर्घायु होता है परंतु उसको कई रिश्तेदारों की मृत्यु देखनी पड़ती है। जातक की आंखें खराब होती हैं। जिस पर या जहां भी इसकी दृष्टि पड़े वहां अशुभ होता है।

अशुभ मंगल और सूर्य की युति पहले या दूसरे घर में हो तो जातक की मृत्यु युद्धस्थल में होती है।

दसवें घर में हो तो सगे-संबंधियों के साथ जमीन-जायदाद को लेकर मुकदमेबाजी होती है। सूर्य+मंगल के बारे में लाल किताब 'जागीरदारी का धन, पक्का धर्मात्मा' कहती है।

=========हर हर महादेव=========

24/03/2024

मंदी हालत (बृहस्पति 6, 7, 10, 11, सूर्य 6, 7, 10) बृहस्पति 6, 7, 10, 11 एवं सूर्य 6, 7, 10 में से किसी घर में हो और शुक्र इनसे पहले घरों में हो तो दोनों ग्रहों का प्रभाव मंदा रहता है। धन-संपत्ति की कमी रहती है और अपमानित होने की आशंका हमेशा बनी रहती है।

शनि की दृष्टि हो या दोनों चौथे या दसवें घर में हों तो दोनों का फुल सोया हुआ होता है और केतु की महादशा में 7 वर्ष तक संतान और ननिहाल का हाल खराब रहता है। राजपक्ष (नौकरी आदि) भी कमजोर रहेगा। शनि शुभ रहा तो कुछ हद तक अच्छा प्रभाव महसूस होता है, अन्यथा बुरा प्रभाव ही भोगना पड़ता है।

जब दोनों ग्रह ऐसे घरों में हों, जहां सूर्य का असर मन्दा हो तो जातक का भाग्य मंदा होता है। उसे हर काम में नाकामयाबी मिलती है। जीवन दुख भरा होता है।

यदि दोनों तीसरे घर में हों और जातक लालची हो तो लाखों की संपत्ति क मालिक होते हुए भी कुछ शेष नहीं रहता।
======हर हर महादेव======

24/03/2024

जोड़े वाले बारह घरों का फल
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इस परिच्छेद में हम जन्मकुंडली में दो ग्रहों के एक घर में रहने पर जातक को मिलनेवाले फलों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

=====सूर्य +चंद्र=====

पहला घर=°=°=°=°==
जातक दूसरों से कर वसूली करता है। उसकी आयु लंबी रहती है परंतु मौत अचानक आती है। उसका जीवन भौतिक सुखों से परिपूर्ण रहता है। जातक हाथ के कामों का कारीगर होता है। लाल किताब ऐसे जातक को 'वट वृक्ष का दूध' कहती है। ऐसे जातक सरकारी धन से लाभ उठानेवाले, सिविल सर्जन, डॉक्टर आदि बन सकते हैं। सूर्य जिंदगी का मालिक है तो चंद्र चमकते मोती के समान धन-माया का स्वामी है। इन दोनों ग्रहों का प्रभाव जातक के जीवन पर 40 वर्षों तक रहता है। • जातक को पैतृक संपत्ति का लाभ होता है। उसका बुढ़ापा आराम से गुजरता हैं। दूसरा घर

दूसरा घर=°=°=°=°=°==
शुभ होने पर जातक का मकान सुंदर और आलीशान रहता है। वह शानदार जीवन जीता है और बेधड़क व कठोर होता है। यदि जातक बुरी स्त्री की सोहबत में न फंसे तो उसे सरकार से मान-सम्मान प्राप्त होता है और उसकी चहुंमुखी प्रगति व विकास होता है।
इन दो ग्रहों की युति अशुभ हो तो स्त्रियों से वाद-विवाद, दुश्मनी होती रहती है। जातक को स्त्री के कारण नुकसान उठाना पड़ता है।

तीसरा घर=°=°=°=°=°==
शुभ स्थिति में हों तो जातक बड़े पैमाने पर धन-संपत्ति एकत्र करता है,बशर्ते कि वह लोभी न हो।
अशुभ स्थिति में जातक स्वयं के लिए उदारता बरतता है, पर दूसरों के लिए स्वार्थी रहता है। उसे भाई-बहनों से अपमानित होना पड़ता है। धन हानि भी उसे सहनी पड़ती है।

चौथा घर=°=°=°=°=°=°==
जातक अधिक भाग्यवान रहता है। इनके शुभ होने की स्थिति में उसे सरकार से सम्मान प्राप्त होता है। जातक धनवान और दानवीर व ऐश करनेवाला होता है। यदि जन्मकुंडली में दसवां घर खाली हो तो जातक का ट्रांसपोर्ट-ट्रैवल्स बड़ा कारोबार रहता है। शनि से संबंधित कार्यों से उसे धन मिलता है। रिश्तेदारों से भी आर्थिक सहयोग मिलता है। मृत्यु अचानक और दिन के समय होती है।

पांचवां घर=°=°=°=°=°=°=°==
जातक पूरी जिदंगी जीता है, भाग्यवान होता है। उसे परमार्थ से भी धन प्राप्त होता है। पत्नी के गर्भवती होते ही भाग्योदय हो जाता है। जातक जीवनभर पर्याप्त सुख भोगता है और ऐश की जिंदगी बसर करता है।
• अशुभ स्थिति में संतान का विरोध सहन करना पड़ता है। सरकार से अपमानित होकर उसे सजा भोगनी पड़ती है।

*छठा घर=°=°=°=°=°=°==
जातक सरकार से मान-सम्मान प्राप्त करता है। मुकदमेबाजी में जीतता है। 'व्यवसाय में बार-बार बदलाव आते हैं। नौकरी में भी बार-बार स्थानांतरण होता रहता है। जातक दयालु स्वभाव का होता है। प्रवासी विक्रेता के रूप में उसे यश प्राप्त होता है। दूसरों के प्रति उसके मन में सद्भावना और सहानुभूति रहती है। यदि जन्मकुंडली का दूसरा घर खाली हो तो माता के लिए अशुभ रहता है। जातक की आयु मध्यम रहती है।

सातवां घर=°=°=°=°=°=°=°=°==
यहां सूर्य-चंद्र होने पर साझेदारी में लाभ मिलता है। विदेश यात्रा सफल • होती है। अशुभ होने पर पति-पत्नी संबंधों में दरार आती है और दोनों में तलाक हो जाता है। विवाह में भी अवरोध उतपन्न होते हैं।

आठवां घर=°=°=°=°=°=°=°=°==
जातक दीर्घायु होता है। उसे पैतृक जमीन-जायदाद मिलती है।

नौवां घर=°=°=°=°=°=°==
दुख जातक मां और ननिहाल के सदस्यों की सेवा मन लगाकर करता है और उसे इस सेवा का अच्छा फल प्राप्त होता है। अशुभ स्थिति में होने पर प्रवास में उठाने पड़ते हैं। जातक संकुचित और दरिद्री मनोवृत्ति का रहता है।

दसवां घर=°=°=°=°=°==
होता है। जातक समाज सेवक और नेता बनता है। पिता के लिए शुभ असरकारक

ग्यारहवां घर=°=°=°=°=°=°=°==
जातक महत्त्वाकांक्षी, आज्ञाकारी एवं उच्चाधिकारी होता है। सूर्य-चंद्र इस घर में अशुभ स्थिति में हों तो जातक झूठ बोलनेवाला, माता से झगड़नेवाला और मांसाहारी होता है। यदि जातक मांसाहार करना छोड़ दे तो दीर्घायु होता है अन्यथा अल्पायु होता है।

बारहवां घर=°=°=°=°=°=°=°==
सभी प्रकार का फल अच्छा मिलता है। ऐसे जातक को विदेश से संबंधित कार्यों में यश प्राप्त होता है। जातक तंत्र-मंत्र एवं गूढ़ विद्याओं का इल्मी ( जानकार) होता है।

अशुभ स्थिति होने पर जातक व्यभिचारी रहता है। विधवा या नीच जाति की स्त्रियों से उसका संबंध रहता है। जातक दुखी जीवन जीता है।
_________हर हर महादेव_________

19/03/2024

आपकी कुंडली में कहीं कमजोर तो नहीं शुक्र? जानिए इसके लक्षण और उपाय~~~~~~~`~~~~~~~~~`~~~~~~~~~`~~~~~~~`~~~~~~~~`~~~~~~~~~`~~~~~~~~~`~~~~~~~~`~~~~~~~`~~~~~~~~~`~~~~~~~~~`~~~~~~~~~`

वैदिक ज्योतिष में शु्क्र ग्रह को सुख, संपदा और ऐश्वर्य का कारक माना जाता है। जिन जातकों की कुंडली में शु्क्र मजबूत भाव में बैठे होते हैं उन्हें सभी तरह की सुख समृद्धि और ऐशो-आराम की जिन्दगी मिलती है।

लक्षण से जानिए शुक्र की स्थिति
अगर आपके पास कुंडली ना हो या आपको ग्रहों की स्थिति के बारे में जानकारी ना हो, तो भी आप अपने जीवन में होनेवाली घटनाओं से अंदाजा लगा सकते हैं कि आपकी जन्म-कुंडली में शुक्र मजबूत स्थिति में है या नहीं। चलिए आपको बताते हैं कमजोर शुक्र के लक्षण - अगर जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हो तो जातक भौतिक सुख-सुविधाओं से वंचित रहता है। उसे भोग-विलास का मौका नहीं मिलता और जीवन में आराम से बैठना नसीब नहीं होता। कमजोर शुक्र होने पर व्यक्ति धर्म और अध्यात्म की तरफ जाता है। उसका खाने-पीने, गीत-संगीत या भोग विलास में मन नहीं लगता। कुंडली में शुक्र ग्रह के कमजोर होने पर प्रेम संबंधों में बाधा आती है। रिश्ते बनते ही नहीं या बनते-बनते रह जाते हैं। कुंडली में शुक्र ग्रह के कमजोर होने पर जातक का वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं रहता और व्यक्ति संतान सुख से वंचित रह सकता है।

शुक्र को मजबूत करने के उपाय
वैदिक ज्योतिष में शु्क्र ग्रह को सुख,संपदा और ऐश्वर्य का कारक माना जाता है। जिन जातकों की कुंडली में शु्क्र मजबूत भाव में बैठे होते हैं उन्हें सभी तरह की सुख समृद्धि और ऐशो-आराम की जिन्दगी मिलती है। आइए आपको बताये शुक्र ग्रह को मजबूत करने के उपाय -
शुक्रवार को लक्ष्मी की पूजा

कुंडली में शुक्र ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए शुक्रवार को उपवास रखें और माता लक्ष्मी की पूजा करें। इससे आपके धन और कारोबार पर कमजोर शुक्र का प्रभाव नहीं पड़ेगा। साथ ही इससे संबंधित बीमारियों से भी राहत मिलेगी।

मंत्र का करें नियमित जाप
शुक्रवार के दिन सफेद रंग के वस्त्र धारण करें और स्फटिक की माला लेकर ''ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:'' मंत्र का उच्चारण करें। ये उपाय करने कंडली में कमजोर शुक्र प्रबल होगा। रोजाना ''ॐ शुं शुक्राय नम:” का कम से कम 108 बार जाप भी फायदेमंद साबित होगा।

शुक्र यंत्र की स्थापना
आर्थिक समस्या आ रही हो तो घर या दुकान में शुक्रवार के दिन विधिवत रूप से शुक्र यंत्र की स्थापना करवाएं। सफेद फूल से इसकी नियमित पूजा करने से शुक्र ग्रह से जुड़ी मुश्किलें दूर होती हैं।

इन वस्तुओं का करें दान
सप्ताह के प्रत्येक शुक्रवार को व्रत रखें और सफेद वस्तु जैसे दूध,मोती,दही,चीनी,आटा और दूध,घी आदि का दान करें।

इन उपायों से भी लाभ
शुक्र को मजबूत करने के लिए गाय को रोज सुबह रोटी खिलाएं। साथ ही महिलाओं के साथ सम्मान से पेश आएं और घर की महिलाओं का कभी अपमान न करें।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~हर हर महादेव ~~~~~~~~~~~~~~

19/03/2024

___कमजोर मंगल के लक्षण एवं उपाय_________________________
मंगल दोष हो तो विवाह में होती है देरी, बढ़ता है कर्ज,
कुंडली में मंगल दोष हो तो जातक को दांपत्य जीवन में कई तरह के उतार-चढ़ाव देखने पड़ते हैं. कुंडली में मंगल ग्रह को मजबूत करने के कई कारगर उपाय हैं.

मंगल खराब होने के लक्षण और उपाय
ज्योतिष शास्त्र में मंगल को योद्धा का दर्जा प्राप्त है. यह स्वभाव से एक गतिशील ग्रह माना जाता है. इसे आवेश और ऊर्जा का कारक माना जाता है. मंगल मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी हैं. कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत हो तो व्यक्ति स्वभाव से निडर और साहसी होते हैं. वहीं कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में बैठे हों तो जातक को विभिन्न क्षेत्रों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.

कुंडली में मंगल दोष के संकेत
कुंडली में मंगल की स्थिति कमजोर हो तो व्यक्ति को बेवजह किसी भी बात पर गुस्सा आने लगता है और उसका स्वभाव चिढ़चिढ़ा हो जाता है. पीड़ित मंगल की वजह से जातक किसी भी नए काम की शुरुआत नहीं कर पाता है. उस हर काम में असफल रहने का भय बना रहता है. कुंडली में मंगल कमजोर होने की व्यक्ति ज्यादातर समय थका हुआ महसूस करता है. उसका आत्मविश्वास कमजोर होता है. पीड़ित मंगल की वजह से व्यक्ति को किसी दुर्घटना का सामना भी करना पड़ सकता है.इसके अलावा, जातक के मंगल के कमजोर होने से पारिवारिक जीवन में भी कई चुनौतियां आती है. जातक को शत्रुओं से पराजय, जमीन संबंधी विवाद, कर्ज़ आदि समस्याओं से गुजरना पड़ता है. कुंडली में मंगल पीड़ित हो तो व्यक्ति को रक्त संबंधी रोग होने की संभावना रहती है. विवाह में देरी और रुकावट कुंडली में अशुभ मंगल के सबसे हानिकारक प्रभावों में से एक है.

अशुभ मंगल को शुभ बनाने के उपाय
मंगल ग्रह को मजबूत करने का सबसे आसान उपाय है बजरंगबली की पूजा करना. जिन लोगों का मंगल कमजोर हो उन लोगों को मंगलवार के दिन कम से कम दो बार हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. जिन लोगों का मंगल कमजोर होता है उनको कम से कम 12 या 21 मंगलवार का व्रत रखना चाहिए और हनुमान मंदिर में जाकर देसी घी दीपक जलाना चाहिए. मंगल को मजबूत करने के लिए गेहूं, मसूर दाल, कनेर का फूल, गुड, लाल कपड़ा, तांबा, सोना, लाल चंदन आदि का दान करना चाहिए.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~हर हर महादेव

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