Pragya Homeo Clinic

Pragya Homeo Clinic 4, Krishnabag Apartment (near heritage scans),Lanka.Varanasi UP
mob.9335724390 plant, animal, mineral or others. consultation.phone-----91-9335724390.

This centre of Homoeopathic healing has been dedicated to the cause of human health.our prime emphasis is the prevention of diseases and sound health to the people of india and the treatment of chronic diseases with the help of most advance Homoeopathic softweres to reach at the most similimum medicine of the patients through the scientific case taking methodologyand case analysis to finalise a medicine of his--patient---kingdom ie. our confidence during the last three years have increased and we have been successfull in treating many chronic diseases which were subjected to surgery,thus we could save thousands of rupees of the patients
our consultation fee also has increased simultaniously which is as follows--
first visitconsultation-------rs. 1000/=+cost of medicine
second visit review of case---rs. 200/=+cost of medicine and there after service charges of rs. 100/=and the cost of medicine. appointment on phone is essential before visiting.

20/01/2025

यदि आपके शरीर का तापक्रम बढ़ गया है अर्थात आपको बुखार हो गया है तो बुखार की गोली पेरासिटामोल अथवा पेरासिटामोल युक्त अन्य दवाइयां आपके लिए दुश्मन की तरह हैं।
बुखार की गोलियां खाने से हर व्यक्ति को बचना चाहिए ।बुखार की गोलियां तभी ले जब आपके शरीर का तापमान 104 या 105 डिग्री से ऊपर जाने लगे। ऐसी स्थिति में अपने चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें। सामान्य तौर पर 105 डिग्री के ऊपर बुखार ब्रेन फीवर के ही केस में जाता है।
विषाणु जनित बुखार में अर्थात वायरल फीवर में पेरासिटामोल एक खतरनाक जहर की तरह है। वायरल फीवर में पेरासिटामोल का प्रयोग करने से बुखार ठीक हो सकता है, लेकिन यह बुखार टाइफाइड में बदल सकता है। जो आपके लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
ज्यादातर टाइफाइड बुखार पेरासिटामोल खाने के बाद ही होता है। ऐसा मेरा वर्षों का अनुभव है ।वायरल टाइफाइड कभी ठीक नहीं होता। बुखार उतर जाता है और कुछ महीने के बाद फिर होता है। और यह बाद में बार-बार होने लगता है।
बार-बार टाइफाइड होने और इसका अंग्रेजी दवा करने से रोगी में संतान पैदा करने की क्षमता छीण होती है और स्पर्म काउंट घटने लगता है। इसलिए टाइफाइड बुखार के इलाज के लिए अपने नजदीकी विशेषज्ञ होम्योपैथिक चिकित्सक से संपर्क करें।

18/01/2025

हमारे महान राष्ट्रभक्त सिसोदिया वंशी महाराणा प्रताप जंगलों में देश की रक्षा के लिए यदि घास की रोटियां खा सकते हैं । तो हम अपना घातक भयानक कैंसर रोग ठीक करने के लिए दो महीना घास खाकर क्यों नहीं जी सकते।?
याद रखिए केवल 2 महीना घास फूस के जूस और उसे बनी हुई रोटियां फल और प्राकृतिक भोजन पर जीना सीख लीजिए आपका कैंसर रोग जड़ मूल से नष्ट हो जाएगा। यह मेरे 35 वर्षों का अनुसंधान है।
कैंसर चिकित्सा एक तपस्या है, जो अस्पतालों में नहीं की जाती इसके लिए आपको आपके घर का शुद्ध प्राकृतिक वातावरण चाहिए। घर के लोगों का प्राकृतिक प्रेम पूर्ण माहौल चाहिए जो आतंक से मुक्त हो। अस्पताल आतंक के केंद्र बन गए हैं, इसलिए अस्पतालों से बचिए।
आवश्यकता हो तो जंगल में चले जाइए वहां किसी आश्रम में कुछ दिनों के लिए आश्रय लीजिए। जितना पैसा अस्पतालों में खर्च करेंगे उससे बहुत कम पैसा आप आश्रम के संन्यासियों को दे दीजिए।
कैंसर घास हरे रंग के रस जूस फल फूल और कोई भी प्राकृतिक भोज तत्व किसी भी कीमत पर ग्रहण नहीं करता। आपके शरीर में वह भूखा मर जाएगा यदि आप इन सबका पालन करते हैं।
विशेषज्ञ सलाह के लिए आप प्रज्ञा होम्यो क्लीनिक लंका वाराणसी में फोन नंबर 9335 724 390 पर संपर्क कर सकते हैं।
होम्योपैथी एक प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है और कैंसर एक अप्राकृतिक रोग है। कैंसर कभी भी प्रकृति को ग्रहण नहीं करता इसलिए कैंसर को होम्योपैथिक चिकित्सा से हराया जा सकता है। इसलिए आप प्रकृति की गोद में जाइए कैंसर खुद ही हार जाएगा।
डॉ एसपी मिश्रा वरिष्ठ चिकित्सक प्रज्ञा होम्यो क्लीनिक लंका वाराणसी

18/01/2025

होम्योपैथिक चिकित्सा लेने से पहले निम्नलिखित तथ्यों का ध्यान रखना आवश्यक है ।
होम्योपैथिक चिकित्सा लेने के समय रोगियों को एलोपैथिक दवावों से परहेज करना चाहिए, क्योंकि दोनों ही चिकित्सा पद्धतियां एक दूसरे के विपरीत हैं। यह कंप्लीमेंट्री चिकित्सा पद्धतियां नहीं है। कुछ चिकित्सक इसका समर्थन करते हैं की होम्योपैथिक इलाज के साथ एलोपैथी भी चलती है। मैं इसका समर्थन नहीं करता।
होम्योपैथिक चिकित्सा से मनुष्य के शरीर में छिपे हुए रोगों का वहिर्गमन होता है। जबकि एलोपैथिक चिकित्सा में रोग अंदर शरीर में दबता है। होम्योपैथी एक्सट्रोवर्ट है जो कि शरीर के प्राकृतिक विधान के अनुसार है। जबकि एलोपैथी इसके ठीक उल्टा है जो अप्राकृतिक है।
जैसे यदि आपको चर्म रोग है तो होम्योपैथिक चिकित्सा से यह चर्म रोग बढ़ता है अर्थात आपकी त्वचा पर इसका ज्यादा उग्र प्रभाव दिखाई पड़ता है जबकि एलोपैथिक चिकित्सा से यह वापस शरीर के अंदर चला जाता है। जिसे सप्रेशन कहा जाता है। यह बहुत ही घातक है इससे तमाम अन्य रोगों का जन्म होता है।
होम्योपैथिक चिकित्सा में रोग वृद्धि एक सामान्य बात है और इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह एक अच्छा लक्षण है। चिकित्सा जारी रखने रखने पर उग्र लक्षण धीरे-धीरे शांत हो जाते हैं और रोगी सामान्य स्थिति को प्राप्त हो जाता है।
प्राथमिक रोग वृद्धि इस बात का प्रमाण है की दवा रोगी पर प्रभाव डाल रही है। वैसे यह सिद्धांत हर रोग की चिकित्सा में लागू नहीं होता। चर्म रोग गठिया बात अर्थराइटिस के अतिरिक्त यह रोग वृद्धि अन्य रोगों की चिकित्सा में नहीं दिखाई पड़ती।
वरिष्ठ चिकित्सक होम्योपैथी एवं वैकल्पिक चिकित्सा।
प्रज्ञा होम्यो क्लीनिक
लंका वाराणसी

02/01/2025

------------जीरो ऑयल कुकिंग क्या है? और क्यों अस्वस्थ बीमार लोगों के लिए आवश्यक है?
जीरो ऑयल कुकिंग अस्वस्थ रोगियों के लिए विशेष कर असाध्याय रोग जैसे कैंसर, हार्ट डिजीज,या अन्य असाध्य रोगों के उपचार के लिए आवश्यक शर्त है। क्योंकि तेलों में ट्राइग्लिसराइड पाया जाता है जो हृदय की धमनियों को ब्लॉक करता है और परिणाम स्वरूप हृदयाघात या हार्ट अटैक जैसी स्थितियां जीवन में पैदा हो जाती है।
हृदय रोगियों को विशेष रूप से जीरो आयल कुकिंग अपनाना चाहिए। आईये सीखते हैं। जीरो आयल कुकिंग कैसे करें? सब्जी भाजी पकाने में मसाले से कोई परहेज नहीं है। क्योंकि मसाले औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की वृद्धि करते हैं।
इसलिए भोजन पकाने में मसाले की भूमिका ज्यादा होनी चाहिए तेल की भूमिका शून्य होनी चाहिए।
यदि मसालेदार रसदार सब्जी बनाना चाहते हैं तो इसके लिए एक साथ टमाटर लहसुन अदरक मिर्च और प्याज को मिक्सर ग्राइंडर में पीसकर ग्रेवी बना ले। हरी सब्जियों को नमक के पानी में हल्का उबालकर पहले से रख ले। इन्हीं ग्रेवी वाले मसाले को कढ़ाई में बिना तेल के पकाए। अब इसी ग्रेवी में अपनी इच्छा के मसाले को मिलाकर पकाते रहें ।
आवश्यकता पडने पर बीच-बीच में मसालो को जलने से बचाने के लिए दो चम्मच पानी का प्रयोग करें। हमें मसाले को पकाना है। मसाले को जलाना नहीं है। इस प्रकार पकाए हुए मसाले में उबली हुई सब्जियों को डालकर मिलाएं और कुछ देर पकाने के बाद आवश्यकता अनुसार जल मिलायें।
इस बात का ध्यान रखना है । तेल में मसाले जलाए जाते हैं। पकाये कम जाते हैं।
इसी तरह और भी सूखी सब्जियां बनाई जा सकती हैं। जिसमें तेल की जगह कच्चे नारियल का प्रयोग कद्दूकस करके कर सकते हैं, जो तेल का काम करेगा। इसमे जरूरत के मसाले भी मिला सकते हैं। हमेशा याद रखें मसाले को पानी में पकाएं, ना कि तेल में जलाएं।
हृदय रोगियों तथा कैंसर के रोगियों के लिए यह जीरो आयल कुकिंग इलाज की आवश्यक शर्त है।

31/12/2024

शीतकाल का चरमोत्कर्ष चल रहा है। इस काल में अतिरिक्त सावधानी,आहार विहार और जीवन शैली पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
शीतकाल में मनुष्य के शरीर मे प्राकृतिक रूप से संकुचन होता है। आंतरिक अंगों में भी ऐसा ही कुछ परिवर्तन होता है।इसलिए हृदय की रक्त परिसंचरण करने वाली वाहिनियों में संकुचन के कारण रक्तचाप ब्लड/ प्रेशर बढ़ जाता है।
इन दिनों में भूख ज्यादा लगती है। आलस के कारण आदमी का टहलना घूमना भी कम हो जाता है । अवकाश प्राप्त बुजुर्ग लोग जिनके पास कोई काम नहीं है खाता है और आराम करता है।
खाने में फैट और ट्राइग्लिसराइड का प्रयोग भी ज्यादा ही होता है। दोनों ही हृदयाघात लिए जिम्मेदार हैं। दूध घी और मांसाहारी भोजन में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा होती है। और सभी प्रकार के खाने वाले तेलों में ट्राइग्लिसराइड विद्यमान होता है। तेलों में पाया जाने वाला ट्राइग्लिसराइड बहुत ही खतरनाक है,जो हार्टअटैक के लिए जिम्मेदार है।
यह दोनों ही हमारे हृदय की रक्त नलियों में धीरे-धीरे जमा होकर ब्लॉकेज पैदा करते हैं, जो हार्ट अटैक का कारण बनता है। ठंडी के दिनों में यह कुछ ज्यादा होता है।
अपने भोजन से फैट और ट्राइग्लिसराइड को उम्र के अनुसार सीमित करने की आवश्यकता होती है। जो लोग पहले से ही हृदय के रोगी हैं, उन्हें बचाव की बड़ी जरूरत होती है। उन्हें तेल घी और मांसाहारी भोजन से अवश्य बचना चाहिए।
जीरो ऑयल कुकिंग को भोजन पकाने में अपनाना चाहिए। बूढ़े बुजुर्गों को हमेशा गर्म पानी से ही नहाना चाहिए। आग और हीटर से शरीर को सेकना चाहिए। यदि धूप निकली हो तो तेज धूप का सेवन करना चाहिए।
अतिरिक्त विटामिन डी सूरज की रोशनी से प्राकृतिक रूप में ग्रहण करना चाहिए। सुपाच्य भोजन खाएं। ज्यादा मात्रा में संतरा, मुसम्मी ,नींबूपानी जैसी विटामिन सी का प्रयोग करें।
चूड़ा मटर खाने से बचें, क्योंकि इसे तैयार करने में ज्यादा मात्रा में तेल का प्रयोग होता है। वैसे हरी मटर के पकवान भी बिना तेल के बनाए जा सकते हैं। भोजन पकाने की जीरो ऑयल कुकिंग शैली को सीखने की जरूरत है।
शीत ऋतु में भोजन पकाने में ज्यादा से ज्यादा गरम मसाले का प्रयोग करना चाहिए। लहसुन प्याज और अदरक का प्रयोग ज्यादा करना चाहिए। यह सब आपके स्वास्थ्य के लिए उत्तम है।
चाहें तो तेल की जगह प्याज टमाटर और दही से ही अपने भोजन को पका सकते हैं। जीरो ऑयल कुकिंग कैसे करें इस पर अलग से एक पोस्ट लिखूंगा।
डॉ एसपी मिश्र
प्रज्ञा होम्यो क्लीनिक
लंका वाराणसी।

29/11/2024

--------------कैंसर ग्रस्त रोगी में कैंसर कोशिकाओं का साम्राज्य स्थापित हो जाता है। यह समानांतर साम्राज्य शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं के साथ-साथ चलता है। कैंसर कोशिकाएं शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं को मार-मार कर खाती हैं, और पीडा भी देती हैं।
एक तरह से शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं पर कैंसर कोशिकाओं का शासन चलता है। और इस तरह हमारा शरीर कैंसर का गुलाम बन जाता है।
हम कैंसर कोशिकाओं को मार सकते हैं, सिर्फ इस जानकारी के साथ कि कैंसर कोशिकाएं क्या खाना पसंद नहीं करती। यदि यह पता चल जाए कि कैंसर कोशिकाओं को कौन सा भोजन पसंद नहीं है।
कैंसर रोगियों को उन्ही भोज्य पदार्थों को ग्रहण करना चाहिए जो कैंसर कोशिकाएं खाने में पसंद नहीं करती या नहीं खाती। आप कुछ ही दिन में देखेंगे कि कैंसर कोशिकाएं भूखी मरने लगेंगी। आप उन सब भोज तत्वों का परित्याग कर दीजिए जो कैंसर कोशिकाएं बड़े चाव से खाती हैं तथा
आपके शरीर में मोटी और स्वस्थ होती हैं तथा शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं का विनाश करती ह।
जैसे मुर्गा बकरा अंडा मसालेदार तेल में तले हुए भोजन चीनी मिठाई नमकीन जायकेदार भोजन और अन्य तमाम तरह के पदार्थ जो शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं।
कैंसर के रोगियों को किचन से हटाना पड़ेगा। रोगियों के लिए एक उत्तम क्वालिटी का जूसर और मिक्सर ग्राइंडर खरीदिए। खर्च के नाम पर कुछ होम्योपैथिक औषधियां और जूसर ग्राइंडर यही सबसे बड़ा इन्वेस्टमेंट है, जो आपके परिवार के भी काम आएगा।
प्रज्ञा होम्यो क्लीनिक।
लंका वाराणसी।।

23/11/2024

----------कैंसर को वैकल्पिक चिकित्सा द्वारा हराया जा सकता है। इसका प्रमाण पत्र मिल गया। नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी को स्टेज 4 कैंसर से बाहर निकाल कर भोजन और पोषण की शैली में बदलाव कर कैंसर को हराया गया। यह 100% सत्य है। मैं यही बात बरसों से कह रहा हूं और कर रहा हूं।
कैंसर बहुत ही सरलता से उपचारित किया जा सकता है। बस आवश्यकता है,आपको एलोपैथी के जंजाल से और उनके फैलाए हुए झूठ से बाहर निकलने की।
कैंसर के रोगी अपने जीवन में भोजन और पोषण की शैली को बदलकर कैंसर ठीक कर सकते हैं। मार्गदर्शन की आवश्यकता होगी तो मैं यह मार्गदर्शन देने के लिए तैयार हूं।
क्योंकि मैंने पहले 10 साल पहले इसी रास्ते पर चलकर होम्योपैथिक चिकित्सा के साथ नॉन होचकिंस लिंफोमा रक्त कैंसर को संपूर्ण रूप से ठीक किया है।
मुझे अब किसी को प्रमाण पत्र देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी ने यह प्रमाण पत्र दे दिया है।

19/10/2024

------क्या आप जानते हैं कैंसर ठीक क्यों नहीं होता?
क्योंकि हम जिन पदार्थो का भोज करते हैं या हमारे भोजन शैली में जो भी कुछ शामिल है; उसी में से कोई एक ऐसा भोज तत्व है, जो हमारे शरीर के लिये प्रतिक्रियात्मक है।
मेडिकल टर्म में इसे एलर्जिक या एलर्जेंस कह सकते हैं। इसका मतलब हमारा शरीर उसे भोज तत्व को स्वीकार नहीं कर रहा है एक कैंसर विशेषज्ञ को किसी रोगी में यही खोजना है।
हमें यह ज्ञात नहीं होता कि वह कौन सा भोज तत्व है, जो हमारे शरीर में कैंसर कोशिकाओं को जन्म देने के लिए जिम्मेदार है। मैंने एक रोगी में दूध पीकर कैंसर होते हुए देखा है, जाना है, और संपूर्ण रूप से इलाज कर उसे रोग मुक्त भी किया है; इस हिदायत के साथ कि वह अब जीवन में कभी दूध नहीं पी सकता।
यह एक नॉन हाचकिंस लिंफोमा कैंसर का केस था; और वह भी लहरतारा कैंसर अस्पताल से निकालकर मरने के लिए फेंका हुआ।
इसलिए अपनी भोजन शैली को बदलना पड़ेगा और हमें ऐसे पदार्थ का सेवन करना पड़ेगा जो कैंसर कोशिकाओं के लिए दुश्मन का काम करें ।
जानवरों से बने हुए पदार्थ या भोज तत्व अथवा जिन भोज तत्वों में रासायनिक पदार्थ मिले हैं; वह सब कैंसर कारक हो सकते हैं। यह अलग-अलग लोगों में अलग-अलग तरीके से प्रभावित होगा ।
यह मेरे 40 वर्षों के अनुभव का सारांश है। मैंने बहुत सारे कैंसर रोगियों को रोग मुक्त किया है। मुझे यह बहुत ही सरल लगता है।
बस आप एलोपैथिक दवावों के चक्र में न फंसे; क्योंकि वहां कैंसर का कुछ भी समाधान नहीं है। केवल लूटपाट और धन उगाही के अलावा वहां झांसा है; समाधान बिल्कुल नहीं। लेकिन हमारे देश में सबसे ज्यादा अस्पताल कैंसर के ही हैं।
मुझे यह बहेलिया का कंपा लगता है जहां बुलबुल रोगी फंस जाते हैं और अंत में मौत को प्राप्त होते हैं।

06/10/2024

रमंते जगत:पितरौ भवानीशंकर:अपि यस्मिन सह राम:।।

रमंते योगिन: यस्मिन सह राम:।।

अर्थात जगत के माता-पिता स्वरूप माता पार्वती संग भगवान शंकर जिसएक शब्द राम में रमन करते हैं; ऐसे हैं हमारे प्रभु मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम।
संसार के समस्त योगीगण जिस राम में रमन करते हैं; ऐसे हैं ,प्रभु श्री राम।।
यदि राम शब्द से रकार हटा दिया जाए ;तो उच्चारण आम होने लगता है। आम का बार-बार उच्चारण किया जाए तो ओम ओम ओम की ध्वनि गुंजित होने लगती है।
समस्त ब्रह्मांड में एक दिव्य ध्वनितरंगें गूंजायमान है। इसी दिव्य ध्वनि को योगीगण ध्यान की स्थिति में सुनने की कोशिश करते हैं ।
ओंमकार ही ब्रह्मांड की आवाज है। ब्रह्मांड की समस्त शक्तियों का रहस्य है। ध्वनि तरंगों के आपसी टकराव से ही ब्रह्मांड का जन्म हुआ है। लगातार होने वाली ध्वनि तरंगों के टकराव से महा विस्फोट होता है; जिससे प्रकाश तरंगों का जन्म होता है।
जब ध्वनि और प्रकाश दोनों एक साथ टकराते हैं ; तो इस स्थिति को महा विस्फोट कहते हैं। जिससे ब्रह्मांड का झण प्रतिक्षण विस्तार होता है। यही ओमकार ही ब्रह्मांड के जन्म और विस्तार का कारक है। संसार की सारी शक्तियां इसी ओंकार से पैदा होती हैं।
इसलिए समस्त देवी देवता और योगी तथा आध्यात्मिक पुरुष इस एक अक्षर ओम अर्थात राम में रमन करने की बात करते हैं।
योगियो के नाथ स्वयं महादेव भी इसी राम में रमण करते हैं।

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनामतातुल्यम रामनाम बरानने।।
महादेव जी पार्वती से कहते हैं। हे पार्वती रामनाम विष्णु सहस्त्रनाम के तुल्य है। मैं सर्वदा राम-राम राम इस प्रकार मनोरम राम नाम में ही रमन करता हूं।
राम और ब्रह्मांड के इस दुर्लभ रहस्य ज्ञान को पढ़ें, जानें तथा समझें। अपने मित्रों को भी प्रेषित करें, पता नहीं राम और ओमकार जपने से किसी का कल्याण हो जाए।
यह सामान्य ज्ञान नहीं है। जिनको न समझ में आए; वे लोग भैंस का दुग्ध पान करें।

16/08/2024

होम्योपैथिक चिकित्सा के द्वारा असाध्य रोगों का संपूर्ण निवारण संभव है।
विश्वास और समर्पण के साथ अच्छे चिकित्सक का चुनाव करें।
चार प्रकार के असाध्य रोगी
1-किडनी के रोगी
2-लीवर के रोगी
3-हृदय के रोगी और
4- कैंसर के रोगी
यदि उचित समय पर किसी होम्योपैथिक चिकित्सक के मार्गदर्शन में समय रहते इलाज कारायें; तो यह समस्त रोग बड़ी आसानी से जड़ मूल से नष्ट हो सकते हैं। ज्यादातर रोग एलोपैथी की जहरीली रासायनिक दावावों के दुष्प्रभाव के कारण होते हैं। उपरोक्त सारे रोग भी एलोपैथी के जहरीले औषधीयों के दुष्प्रभाव हैं।
होम्योपैथी रोगी को जहर मुक्त करने की सशक्त चिकित्सा प्रणाली है। इसलिए समय रहते सरल और सहज होम्योपैथिक चिकित्सा अपनाने की आवश्यकता है।
रोगियों को प्राय: यह भ्रम हो जाता है की एलोपैथिक चिकित्सा से जल्दी रोग ठीक हो जाएगा; जो सत प्रतिशत गलत है। एलोपैथिक चिकित्सा से रोग जटिल होता है। रोग ठीक नहीं होता। यह सब आप अनुभव के द्वारा देख सकते हैं।
मैं अपने 35 वर्षों के चिकित्सा अनुभव से जानता हूं कि किडनी और लीवर के रोग अंग्रेजी दवाओं के दुष्प्रभाव से ही होते हैं। कैंसर भी अंग्रेजी औषधियों का दुष्प्रभाव है। हम सबको अपने भोजन और पोषण पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
क्योंकि अन्न ही रोग का कारक है। अन्न खाकर ही व्यक्ति स्वस्थ होता है। और अन्न से ही आदमी बीमार होता है।।
स्वस्थ रहने के लिए व्यक्ति को चार-पांच तरीके की औषधियों से बचना चाहिए।
1- पहले बुखार की गोली पेरासिटामोल, डालो 650 और कांबीफ्लाम
2- दूसरा सर्दी जुकाम की दवाई एंटी कोल्ड ड्रग्स और सेटिरिज़िन जिसे एंटी एलर्जिक ड्रग कहते हैं
3- तीसरी पेन किलर दवाइयां
4-चौथी स्टेरॉयड ड्रग्स।
यह सारी औषधियां सप्रेशन करती हैं। रोगी को रोग मुक्त नहीं करती अर्थात रोग को अंदर ही अंदर दबा देती हैं ।जो बाद में असाध्य रोग के रूप में जन्म लेता है।
सर्दी ,जुकाम, बुखार डायरिया एवं उल्टी यह बीमारियां ही नहीं है। यह शरीर की शोधन प्रक्रिया का हिस्सा है,जो शरीर खुद ही अपने आप को शोधित करने के लिए समय-समय पर विशेष रूप से ऋतुओं के संगम पर करती है।
निर्णय आपका है। आपको रोग दबाना है या रोग का समाधान करना है। होम्योपैथी के पास हर ताले की कुंजी है। यह भी सत्य है कि मूर्खों का इस दुनिया में कोई इलाज नहीं है।

29/06/2024

भावनात्मक उत्तेजनाएं और तनाव हृदय रोगों को जन्म देती हैं। मेरा अनुभव है कि बिना भावनात्मक विकार और तनाव के कभी भी हृदय रोग नहीं हो सकते।
मैंने ऐसे बहुत सारे रोगियों का इलाज किया है और उन्हें 100% हृदय रोगों से मुक्त भी किया है। आज भी बिना किसी औषधि के सहारे अपना सामान्य जीवन जी रहे हैं।
Stress and anxiety due to Emotional disturbance and excitement or depression causes Heart related complains.
और यह भी स्थापित सत्य है कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इमोशनल डिस्टरबेंस और एंजायटी डिप्रेशन के लिए कोई भी समुचित औषधीय चिकित्सा उपलब्ध नहीं है।
मैं लोगों के सामान्य जानकारी के लिए यह बताना चाहता हूं कि होम्योपैथिक चिकित्सा में मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के पश्चात होम्योपैथिक चिकित्सा मेडिसिन के रूप में उपलब्ध है। आप एक सक्षम होम्योपैथिक चिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं ।जो साइको एनालिसिस के आधार पर फिजियोलॉजिकल बीमारियों को ठीक कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए--- फीयर ऑफ़ डेथ/ मृत्यु का डर यदि किसी रोगी में स्थापित हो जाए तो इसके लिए एलोपैथी में कोई दवा नहीं है लेकिन होम्योपैथी में 50सो दवाएं हैं।
fear of impending disease,
fear of cancer,
Despare of disease recovery,
Ailments from death of his beloved people in relation,
Delusion disease is incurable,
इस तरह के और भी सैकड़ो मनोवैज्ञानिक लक्षणों के लिए जो रोगी में पाये जा सकते हैं; होम्योपैथी में निर्धारित औषधियां उपलब्ध हैं। आप इन्हीं लक्षणों के आधार पर बड़ी से बड़ी घातक बीमारियों को भी ठीक कर सकते हैं।
एक उदाहरण--- मुझे एक विदेशी इटालियन महिला की चिकित्सा का अवसर मिला। गर्मी के दिनों में यह रोजी कालरा से पीड़ित थी। जब मैं इसे देखने गया, तो कमरे में प्रवेश करते ही रोगी ने कहा----
docter save my life . I am going to die.डॉक्टर सेव माय लाइफ। आई एम गोइंग टू डाई.
मैंने इस रोगी को Arsenic alb. 1M की दो खुराक दिया और मेरे देखते ही देखते 10 मिनट में रोगी ठीक हो गया। उसकी उल्टी और टट्टी दोनों ही बंद हो गई।
रोगी ने कहा --'
Thank yu docter , yu have saved my life.

Address

Varanasi

Opening Hours

Monday 12am - 6pm
Tuesday 12am - 6pm
Wednesday 12am - 6pm
Thursday 12am - 6pm
Friday 12am - 6pm

Telephone

+919335724390

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Pragya Homeo Clinic posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Practice

Send a message to Pragya Homeo Clinic:

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram