31/12/2024
शीतकाल का चरमोत्कर्ष चल रहा है। इस काल में अतिरिक्त सावधानी,आहार विहार और जीवन शैली पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
शीतकाल में मनुष्य के शरीर मे प्राकृतिक रूप से संकुचन होता है। आंतरिक अंगों में भी ऐसा ही कुछ परिवर्तन होता है।इसलिए हृदय की रक्त परिसंचरण करने वाली वाहिनियों में संकुचन के कारण रक्तचाप ब्लड/ प्रेशर बढ़ जाता है।
इन दिनों में भूख ज्यादा लगती है। आलस के कारण आदमी का टहलना घूमना भी कम हो जाता है । अवकाश प्राप्त बुजुर्ग लोग जिनके पास कोई काम नहीं है खाता है और आराम करता है।
खाने में फैट और ट्राइग्लिसराइड का प्रयोग भी ज्यादा ही होता है। दोनों ही हृदयाघात लिए जिम्मेदार हैं। दूध घी और मांसाहारी भोजन में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा होती है। और सभी प्रकार के खाने वाले तेलों में ट्राइग्लिसराइड विद्यमान होता है। तेलों में पाया जाने वाला ट्राइग्लिसराइड बहुत ही खतरनाक है,जो हार्टअटैक के लिए जिम्मेदार है।
यह दोनों ही हमारे हृदय की रक्त नलियों में धीरे-धीरे जमा होकर ब्लॉकेज पैदा करते हैं, जो हार्ट अटैक का कारण बनता है। ठंडी के दिनों में यह कुछ ज्यादा होता है।
अपने भोजन से फैट और ट्राइग्लिसराइड को उम्र के अनुसार सीमित करने की आवश्यकता होती है। जो लोग पहले से ही हृदय के रोगी हैं, उन्हें बचाव की बड़ी जरूरत होती है। उन्हें तेल घी और मांसाहारी भोजन से अवश्य बचना चाहिए।
जीरो ऑयल कुकिंग को भोजन पकाने में अपनाना चाहिए। बूढ़े बुजुर्गों को हमेशा गर्म पानी से ही नहाना चाहिए। आग और हीटर से शरीर को सेकना चाहिए। यदि धूप निकली हो तो तेज धूप का सेवन करना चाहिए।
अतिरिक्त विटामिन डी सूरज की रोशनी से प्राकृतिक रूप में ग्रहण करना चाहिए। सुपाच्य भोजन खाएं। ज्यादा मात्रा में संतरा, मुसम्मी ,नींबूपानी जैसी विटामिन सी का प्रयोग करें।
चूड़ा मटर खाने से बचें, क्योंकि इसे तैयार करने में ज्यादा मात्रा में तेल का प्रयोग होता है। वैसे हरी मटर के पकवान भी बिना तेल के बनाए जा सकते हैं। भोजन पकाने की जीरो ऑयल कुकिंग शैली को सीखने की जरूरत है।
शीत ऋतु में भोजन पकाने में ज्यादा से ज्यादा गरम मसाले का प्रयोग करना चाहिए। लहसुन प्याज और अदरक का प्रयोग ज्यादा करना चाहिए। यह सब आपके स्वास्थ्य के लिए उत्तम है।
चाहें तो तेल की जगह प्याज टमाटर और दही से ही अपने भोजन को पका सकते हैं। जीरो ऑयल कुकिंग कैसे करें इस पर अलग से एक पोस्ट लिखूंगा।
डॉ एसपी मिश्र
प्रज्ञा होम्यो क्लीनिक
लंका वाराणसी।