Rathod Manas Hospital & Deaddictin Centre Washim

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10/03/2025
10/10/2024

*On the occasion of world mental health day i:e 10th October, sharing some information related to mental illness.*

किसी भी व्यक्ति के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही बहुत जरूरी हैं। अगर कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ है लेकिन उसका मानसिक स्वास्थ्य खराब है तो उसे अपने जीवन में कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। मानसिक स्वास्थ्य से एक व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का पता चलता है, उसके भीतर आत्मविश्वास आता कि वे जीवन में तनाव से सामना कर सकता है और अपने काम या कार्यों से अपने समुदाय के विकास में योगदान दे सकता है। मानसिक विकार व्यक्ति के स्वास्थ्य-संबंधी व्यवहार, फैसले, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, सुरक्षित यौन व्यवहार आदि को प्रभावित करता है और शारीरिक रोगों के खतरे को बढ़ाता है। मानसिक अस्वस्थता के कारण ही व्यक्ति को बेरोजगार, बिखरे हुए परिवार, गरीबी, नशीले पदार्थों का सेवन और संबंधित अपराध का सहभागी बनना पड़ता है। अगर किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य सही रहेगा तो उसका जीवन भी सही रहेगा। इसलिए हम आपको अपने इस खंड में मानसिक विकारों से जुड़ें हर पहलू के बारे में विस्तार से बताएंगे, जो आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करेगा। पर आइए सबसे पहले जान लेते हैं, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।

मानसिक बीमारियों का कारण - Causes of Mental Illness
मानसिक स्वास्थ्य में हमारे भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण (emotional, psychological, and social well-being) शामिल हैं।

-जैविक कारक (Biological factors), जैसे कि जीन या मस्तिष्क रसायन
-मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का पारिवारिक इतिहास (Family history of mental health problems)
-जीवन के अनुभव, जैसे आघात या तकलीफ (Life experiences, such as trauma or abuse)
-जीवन में अवसाद रूपी वातावरण के कारण (Depressive Environment)
-बचपन का आघात लगने के कारण (Childhood trauma)
-तनावपूर्ण घटनाएं जैसे किसी प्रियजन को खोने के कारण (Stressful events of life)
-नकारात्मक विचारों के बढ़ने के कारण (Negative thoughts)
- अनहेल्दी आदतों जैसे कि पर्याप्त नींद न लेना या खराब खान-पान की वजह से (unhealthy lifestyle)
- ड्रग्स और अल्कोहल का दुरुपयोग से( Abusing drugs and alcohol)
-एक लंबी बीमारी के उपचार के बाद (treatment with a chronic disease)
मानसिक बीमारी के लक्षण - Symptoms of Mental Illness
प्रत्येक मानसिक बीमारी के अपने-अपने लक्षण होते हैं।

-ज्यादा सोचना (Over thinking)
-एंग्जायटी और घबराहट (Anxiety)
- व्यक्तित्व परिवर्तन (marked personality change)
--खाने या सोने के पैटर्न में बदलाव (changes in eating or sleeping patterns)
-समस्याओं और दैनिक गतिविधियों को करने में असमर्थता (inability to cope with problems and daily activities)
-ज्यादा चिंता करना (excessive anxieties)
-लंबे समय तक अवसाद और उदासीनता (prolonged depression and apathy)
- ज्यादा गुस्सा करना या हिंसक व्यवहार करना (excessive anger or violent behavior)
-आत्महत्या के बारे में सोचना या खुद को नुकसान पहुंचाना (thinking or talking about su***de)
-बहुत ज्यादा मूड स्विंग्स होना (extreme mood swings)
-शराब या ड्रग्स का दुरुपयोग (abuse of alcohol or drugs)

मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियां -Mental Health Disorders

1. एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety Disorders)
एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety Disorders) मानसिक बीमारी का सबसे आम प्रकार है। इन स्थितियों वाले लोगों में गंभीर भय या चिंता होती है, जो कुछ वस्तुओं या स्थितियों से संबंधित होती है। एंग्जायटी डिसऑर्डर के प्रकार (Types of Anxiety Disorders) भी हैं, जैसे कि

a. सामान्यीकृत चिंता विकार (Generalized anxiety disorder)
सामान्यीकृत चिंता विकार में लगातार और अत्यधिक चिंता शामिल होती है जो दैनिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करती है। यह चल रही चिंता और तनाव शारीरिक लक्षणों के साथ हो सकता है, जैसे कि बेचैनी, किनारे पर महसूस करना या आसानी से थकावट, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, मांसपेशियों में तनाव या नींद की समस्या।

b. घबराहट की समस्या (Panic Disorder)
पैनिक डिसऑर्डर का मुख्य लक्षण बार-बार होने वाले पैनिक अटैक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक संकट का एक जबरदस्त संयोजन है। इसके कई लक्षण हैं जैसे कि

-तेज दिल की धड़कन
-पसीना आना
-थरथर कांपना या हिलाना
-सांस की तकलीफ महसूस करना
-छाती में दर्द
-चक्कर आना, हल्का-फुल्का या बेहोश होना
-घुटन का अहसास
-स्तब्ध हो जाना या झुनझुनी
-ठंड लगना
-मतली या पेट में दर्द
-मरने का डर

c. फोबिया (Phobias)
फोबिया एक विशिष्ट वस्तु, स्थिति या गतिविधि का अत्यधिक और लगातार भय है जो आमतौर पर हानिकारक नहीं होता है। मरीजों को पता है कि उनका डर अत्यधिक है, लेकिन वे इसे दूर नहीं कर सकते।

d. भीड़ से डर लगना (Agoraphobia)
एगोराफोबिया उन स्थितियों में होने का डर है जहां से बचना मुश्किल या शर्मनाक हो सकता है। ये डर वास्तविक स्थिति बहुत परेशान करता है और कामकाज में समस्याएं पैदा करता है। एग्रोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति इस डर का अनुभव कई स्थितियों में करता है। जैसे कि

-सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना
-खुले स्थानों में होने पर
- भीड़ वाले स्थानों में होना
-लाइन में खड़ा होने पर
-घर के बाहर अकेले रहने पर

e. सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर (Social Anxiety Disorder)
सामाजिक चिंता विकार वाले व्यक्ति को शर्मिंदगी, अपमानित, अस्वीकार किए जाने या सामाजिक संबंधों में कमी देखने के बारे में ज्यादा चिंता और असुविधा होती है। इस विकार वाले लोग स्थिति से बचने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर जानें, बोलने, नए लोगों से मिलने और सार्वजनिक रूप से खाने पीने से अत्यधिक डरते हैं।

f. अलगाव की चिंता (Separation Anxiety Disorder)
अलगाव चिंता विकार वाले लोगों को अपने लोगों से बिछड़ने का डर रहता है। ऐसे लोग घर से बाहर जाने या उस व्यक्ति के बिना बाहर जाने से इनकार कर सकते है, या अलगाव के बारे में बुरे सपने का अनुभव कर सकते हैं। ये परेशानी बचपन में विकसित होते हैं, लेकिन लक्षण वयस्क होने के बाद भी रह सकते हैं।

2. मूड डिसऑर्डर (Mood disorders)
मूड डिसऑर्डर को भी भावात्मक विकारों या अवसादग्रस्तता विकारों के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। इन स्थितियों वाले लोगों के मनोदशा में बहुत जल्दी बदलाव आता रहता है। इसके भी कई प्रकार होते हैं, जैसे कि

a. मेजर डिप्रेशन (Major depression)
इस अवसाद के साथ एक व्यक्ति लगातार लो फिल करता है और उसका मूड हमेशा खराब रहता है और उन गतिविधियों और घटनाओं में रुचि खो देता है जो पहले से आनंद लेते थे। वे लंबे समय तक निराश या अत्यधिक उदास महसूस करता है।

b. बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar disorder)
बाइपोलर डिसऑर्डर या द्विध्रुवी विकार वाला व्यक्ति अपने मनोदशा, ऊर्जा के स्तर, गतिविधि के स्तर और दैनिक जीवन को जारी रखने की क्षमता में असामान्य परिवर्तन का अनुभव करता है। अच्छा महसूस करने पर वो बहुत ज्यादा एनर्जेटिक हो जाते हैं, जबकि लो मूड होने पर अवसाद में चले जाते हैं।

c. मौसमी भावात्मक विकार (Seasonal affective disorder )
सर्दियों और शुरुआती वसंत महीनों के दौरान जब दिन का छोटा होता है या ज्यादा अंधेरा होता है, तो ये कुछ लोगों को डिप्रेशन में डाल सकता है। ऐसे लोगों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है एक बेहतर लाइटिंग या सूर्य की रोशनी वाले कमर में रहना।

मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उपाय-

-दूसरों से जुड़े रहें और अपने आप को अलग न समझें।
-पॉजिटिव सोचें
-शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
-दूसरों की मदद करते रहें।
-पर्याप्त नींद लें और समय पर सोएं और समय से जागें
-हेल्दी डाइट लें खास कर मूड को बेहतर बनाने वाली चीजों को खाएं।
-शराब, धूम्रपान और ड्रग्स से बचें।
-खूब धूप लें।
-तनाव ज्यादा न लें।
-बहुत ज्यादा सोचना बंद करें।
-एक्सरसाइज और योग करें।
-ऐसा कुछ करें जिससे आपका मन लगा रहे और आप खुश रहें।

01/10/2023

जिंदगी हर किसी को अपना बुरा वक्त बदलने के लिए, दूसरा मौका देती है, उसे हम कल कहते हैं l

‘फोबिया’ फोबिया म्हणजे काय?फोबिया म्हणजे एक प्रकारची एखाद्या गोष्टीची, वस्तूची अथवा प्रसंगाची भीती होय. ही भीती ताण व अत...
27/09/2023

‘फोबिया’

फोबिया म्हणजे काय?
फोबिया म्हणजे एक प्रकारची एखाद्या गोष्टीची, वस्तूची अथवा प्रसंगाची भीती होय. ही भीती ताण व अति चिंतेमुळे निर्माण होणाऱ्या मानसिक आजारात गणली जाते. व्यक्तीनुसार भीतीची (भय) तिव्रता कमी-जास्त असू शकते.............
३) फोबियाचे प्रकार किती?
ॲगोरा फोबिया : या प्रकारातील रुग्ण जास्त गर्दी असलेली ठिकाणे/जागा टाळतात.
सोशल फोबिया : समूहाचा भाग होणे, लोकांशी बोलणे, भेटणे अशा गोष्टी जमत नाहीत.
ग्लोसो फोबिया : लोकांच्या समोर बोलायला, आपली मते मांडायला घाबरतात.
ॲक्रो फोबिया : डोंगर, पुल किंवा गगन चुंबी इमारतींची भीती.
क्लोस्ट्रो फोबिया : बंद ठिकाणांची (लिफ्ट, कार) भीती.
एवियो फोबिया : उडण्याची, विमान प्रवासाची भीती.
हिमो फोबिया : रक्त किंवा जखम बघून भीती.
सायनो फोबिया : कूत्र्यांची भीती.
ओफिडोफोबिया : सापाची भीती.
स्कोटो फोबिया : अंधाराची भीती.............
४) काय काळजी घ्यावी?
- कोणत्याही गोष्टीची अकारण भीती बाळगू नये, इच्छाशक्तीच्या बळावर तुम्ही भीतीवर मात करू शकता.......
५) फोबिया हा भीतीचे महाभयावह रुप आहे. आनुंवाशिकतेमुळे किंवा आजूबाजूच्या परिसरातील अनेक फॅक्टर्समुळे कोणालाही फोबिया होऊ शकतो. हृदयाचे ठोके नेहमीपेक्षा जास्त वेगाने वाढणे, श्वास घेताना त्रास होणे, बोलताना बोबडी वळणे, ब्लड प्रेशर वाढणे, हाता-पायांमध्ये मुंग्या येणे, चक्कर येणे किंवा अस्वस्थ वाटणे आदी लक्षणे दिसून येताच तातडीने डाॅक्टरांचा सल्ला घ्यावा.

- डाॅ. मंगेश राठोड
मानसोपचार तज्ज्ञ, वाशिम

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