VHP Association Thailand

VHP Association Thailand Vision Statement: United, vibrant and prosperous Hindu society inspired by the eternal values of Dharma to spread the message of Vasudhaiva Kutumbakam.
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Vishwa Hindu Parishad Association Thailand Page Rules

VHP Thailand page Rules: 20 June 2017

below rules are necessary for smooth functioning of the VHP page and you are welcome to share your feedback with the admin only. Sincere thanks to the media team for taking Initiative and VHP Thailand EC Members in finalizing these basic rules.

*We request all members to read the below rules and follow them. Also, help us to make VHP Thailand page useful*

1. Hindu Dharma is the uniting factor among all of us. In the interest of all members, we encourage members to share Hindu related content that is authentic, concise, verifiable, research-based, and aimed at strengthening our core Hindu ideological principles. In case of an emergency situation, members are allowed to share only authentic information in the public interest and it may be an advisory or request for assistance as required.

2. Messages related to Hindu activities or events may be shared as long as it is in line with the page rule 1. However, there should not be overexposure to external Hindu events. Only relevant content and limited media should be shared for information to our members. Forwards are not required on VHP Thailand page except in case of emergency. Photos and videos required a description of the content.

3. Any kind of promotion of external content required prior consent and approval from the admin. *Commercial content is strictly prohibited and in some cases may be allowed with Fee. Please discuss with Admin*

4. In-case any member has confusion over external Hindu-related contents, members should discuss with the admin before sharing in the VHP Thailand page. It might help you to filter information that is relevant to VHP Page Members. VHP members may share limited information about their activities relevant to the core theme of the page but no self-promotion.

5. Messages related to Birthdays, Anniversaries, Thought of the Day, Daily Greeting, Messages, Advisories, Congratulations, and messages related to Festivals and News related to India and Thailand, and elsewhere should be more like a personalized communication and should be shared one to one with your friends. *There should not be one-to-one interaction on the page* Obituary information may be shared but no comments, please. In this case, a condolence message should be sent to the family members as required. The only designated persons or admins are authorized to share official communications or information as and when required. *Comments from members are welcome as long as it is meant to add more details to the original post*

As of now, Anything beyond these 5 points will fall under the “DON’Ts” category. If any member violates the above rules, admins will notify him personally (not members) and authorized him to take further actions as per approval from the VHP Thailand Executive Committee. If any member has an objection about content on the VHP Thailand page, please discuss with Admins and they will discuss with the person who posts the content. Members are also free to stay or exit anytime. They are also welcome to join again at their convenience. These 5 rules are for now but we are still open to accepting more ideas from our members about how to make this VHP Thailand page a useful, relevant and effective, and spam free platform for sharing information with VHP members. Rules will be shared with all new members and upon their consent to follow rules, we can add them to the VHP Thailand page. The media, advocacy, promotion, and publicity sub-committee summarized the above points. Vishwa Hindu Parishad Association Thailand

Vishwa Hindu Parishad Association Thailand organising Badminton Masters 2025 (3rd Edition) Date & Time:16th November 202...
01/10/2025

Vishwa Hindu Parishad Association Thailand organising Badminton Masters 2025 (3rd Edition)
Date & Time:
16th November 2025, 8:00 AM to 5:00 PM
Venue:
The 18 Badminton Court
79 Mu 5, Tambon Bangmuangmai, Amphur Muang, Samutprakarn 10270
Map :
https://maps.app.goo.gl/T5xQuWAT5171iss89

Participation Categories:
Men's Doubles: THB 800 per team
Women's Doubles: THB 800 per team
Senior Men's Doubles: THB 800 per team
Junior Singles: THB 400 per player

Register at:
Account details:
Account Name:
Vishwa Hindu Parishad Association
Bank and Branch: Kasikorn Bank, Jewelry Trade Center Branch
Account Number: 634-2-04321-4
Account Type: Savings Account
Transfer receipt to 0818906227
Thank you.

30/09/2025

। । या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: । ।

देवी के नवें रूप को सिद्धिदात्री कहा जाता है।
देवी महागौरी आपको भौतिक जगत में प्रगति के लिए आशीर्वाद और मनोकामना पूर्ण करती हैं, ताकि आप संतुष्ट होकर अपने जीवनपथ पर आगे बढ़ें।
माँ सिद्धिदात्री आपको जीवन में अद्भुत सिद्धि, क्षमता प्रदान करती हैं ताकि आप सबकुछ पूर्णता के साथ कर सकें। सिद्धि का क्याअर्थ है? सिद्धि, सम्पूर्णता का अर्थ है – विचार आने से पूर्व ही काम का हो जाना। आपके विचारमात्र, से ही, बिना किसी कार्य किये आपकी इच्छा का पूर्ण हो जाना यही सिद्धि है।
आपके वचन सत्य हो जाएँ और सबकी भलाई के लिए हों। आप किसी भी कार्य को करें वो सम्पूर्ण हो जाए - यही सिद्धि है। सिद्धि आपके जीवन के हर स्तर में सम्पूर्णता प्रदान करती है। यही देवी सिद्धिदात्री की महत्ता है।

29/09/2025

। । या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: । ।

8 सौन्दर्य का प्रतीक : माँ महागौरी
देवी माँ का आठवाँ स्वरुप है,महागौरी।
महागौरी का अर्थ है - वह रूप जो कि सौन्दर्य से भरपूर है, प्रकाशमान है - पूर्ण रूप से सौंदर्य में डूबा हुआ है। प्रकृति के दो छोर या किनारे हैं - एक माँ कालरात्रि जो अति भयावह, प्रलय के समान है, और दूसरा माँ महागौरी जो अति सौन्दर्यवान, देदीप्यमान,शांत है - पूर्णत: करुणामयी, सबको आशीर्वाद देती हुईं। यह वो रूप है, जो सब मनोकामनाओं को पूरा करता है।क्यों है,देवियों के नौ रूप?
यह भौतिक नहीं, बल्कि लोक से परे आलौकिक रूप है, सूक्ष्म तरह से, सूक्ष्म रूप। इसकी अनुभूति के लिये पहला कदम ध्यान में बैठना है। ध्यान में आप ब्रह्मांड को अनुभव करते हैं। इसीलिये बुद्ध ने कहा है, आप बस देवियों के विषय में बात ही करते हैं, जरा बैठिये और ध्यान करिये। ईश्वर के विषय में न सोचिये। शून्यता में जाईये, अपने भीतर। एक बार आप वहां पहुँच गये, तो अगला कदम वो है, जहां आपको सभी विभिन्न मन्त्र, विभिन्न शक्तियाँ दिखाई देंगी, वो सभी जागृत होंगी।
बौद्ध मत में भी, वे इन सभी देवियों का पूजन करते हैं। इसलिये, यदि आप ध्यान कर रहे हैं, तो सभी यज्ञ, सभी पूजन अधिक प्रभावी हो जायेंगे। नहीं तो उनका इतना प्रभाव नहीं होगा। यह ऐसे ही है, जैसे कि आप नल तो खोलते हैं, परन्तु गिलास कहीं और रखते हैं, नल के नीचे नहीं। पानी तो आता है, पर आपका गिलास खाली ही रह जाता है। या फिर आप अपने गिलास को उलटा पकड़े रहते हैं। 10 मिनट के बाद भी आप इसे हटायेंगे, तो इसमें पानी नहीं होगा। क्योंकि आपने इसे ठीक प्रकार से नहीं पकड़ा है।
सभी पूजा, ध्यान के साथ शुरू होती हैं, और हजारों वर्षों से इसी परम्परा या प्रथा का अनुसरण किया जाता है।ऐसा,पवित्र-आत्मा के सभी विविध तत्वों को जागृत करने के लिये, उनका आह्वान करने के लिये किया जाता है। हमारे भीतर एक आत्मा है। उस आत्मा की कई विविधताएँ हैं, जिनके कई नाम, कई सूक्ष्म रूप हैं,और नवरात्रि इन्हीं सब से जुड़ी है।
इन सभी तत्वों का इस धरती पर आह्वान,जागरण और पूजन करना,यही नवरात्रि पर्व का ध्येय है।

28/09/2025

। । या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: । ।

माँ के सप्तम रूप का नाम है माँ कालरात्रि।
यह माँ का अति भयावह व उग्र रूप है। सम्पूर्ण सृष्टि में इस रूप से अधिक भयावह और कोई दूसरा नहीं। किन्तु तब भी यह रूप मातृत्व को समर्पित है। देवी माँ का यह रूप ज्ञान और वैराग्य प्रदान करता है।

28/09/2025

Vishwa Hindu Parishad Association Thailand
Presents
Yoga for Healthy Lifestyle #219
Join us on Sunday 28th September, 2025
Yoga on Chair Part 1
Join live streaming for yoga tips
On Facebook/vhpthailand
Every Sunday
Time: 7:30 am
Kindly Connect to
https://www.facebook.com/vhpthailand/

27/09/2025

। । या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: । ।

माँ का छटा रूप है कात्यायनी
हमारे सामने जो कुछ भी घटित होता है, जिसे हम प्रपंच का नाम देते हैं, ज़रूरी नहीं कि वह सब हमें दिखाई दे। वह जो अदृश्य है, जिसे हमारी इन्द्रियां अनुभव नहीं कर सकती वह हमारी कल्पना से बहुत परे और विशाल है।
सूक्ष्म जगत जो अदृश्य, अव्यक्त है, उसकी सत्ता माँ कात्यायनी चलाती हैं। वह अपने इस रूप में उन सब की सूचक हैं, जो अदृश्य या समझ के परे है। माँ कात्यायनी दिव्यता के अति गुप्त रहस्यों की प्रतीक हैं।
क्रोध किस प्रकार से सकारात्मक बल का प्रतीक है और कब यह नकारात्मक आसुरी शक्ति का प्रतीक बन जाता है ? इन दोनों में तो बहुत गहरा भेद है। आप सिर्फ़ ऐसा मत सोचिये कि क्रोध मात्र एक नकारात्मक गुण या शक्ति है। क्रोध का अपना महत्व, एक अपना स्थान है। सकारात्मकता के साथ किया हुआ क्रोध बुद्धिमत्ता से जुड़ा होता है,और वहीं नकारात्मकता से लिप्त क्रोध भावनाओं और स्वार्थ से भरा होता है। सकारात्मक क्रोध एक प्रौढ़ बुद्धि से उत्पन्न होता है। क्रोध अगर अज्ञान, अन्याय के प्रति है तो वह उचित है। अधिकतर जो कोई भी क्रोधित होता है वह सोचता है कि उसका क्रोध किसी अन्याय के प्रति है अतः वह उचित है! किंतु अगर आप गहराई में, सूक्ष्मता से देखेंगे तो अनुभव करेंगे कि ऐसा वास्तव में नहीं है। इन स्थितियों में क्रोध एक बंधन बन जाता है। अतः सकारात्मक क्रोध जो अज्ञान, अन्याय के प्रति है, वह माँ कात्यायनी का प्रतीक है।
आपने बहुत सारी प्राकृतिक आपदाओं के बारे में सुना होगा। कुछ लोग इसे प्रकृति का प्रकोप भी कहते हैं। उदाहरणतः बहुत से स्थानों पर बड़े - बड़े भूकम्प आ जाते हैं या तीव्र बाढ़ का सामना करना पड़ता है। यह सब घटनाएँ देवी कात्यायनी से सम्बन्धित हैं। सभी प्राकृतिक विपदाओं का सम्बन्ध माँ के दिव्य कात्यायनी रूप से है। वह क्रोध के उस रूप का प्रतीक हैं जो सृष्टि में सृजनता, सत्य और धर्म की स्थापना करती हैं। माँ का दिव्य कात्यायनी रूप अव्यक्त के सूक्ष्म जगत में नकारात्मकता का विनाश कर धर्म की स्थापना करता है। ऐसा कहा जाता है कि ज्ञानी का क्रोध भी हितकर और उपयोगी होता है,जबकि अज्ञानी का प्रेम भी हानिप्रद हो सकता है। इस प्रकार माँ कात्यायनी क्रोध का वो रूप है, जो सब प्रकार की नकारात्मकता को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

26/09/2025

। । या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: । ।

बुद्धिमता, ज्ञान की देवी : माँ स्कंदमाता
देवी माँ का पाँचवाँ रूप स्कंदमाता के नाम से प्रचलित है। भगवान् कार्तिकेय का एक नाम स्कन्द भी है जो ज्ञानशक्ति और कर्मशक्ति के एक साथ सूचक हैं। स्कन्द इन्हीं दोनों के मिश्रण का परिणाम है। स्कन्दमाता वो दैवीय शक्ति हैं , जो व्यवहारिक ज्ञान को सामने लाती हैं – वो जो ज्ञान को कर्म में बदलती हैं।
शिव तत्व आनंदमय, सदैव शांत और किसी भी प्रकार के कर्म से परे का सूचक है। देवी तत्व आदिशक्ति सब प्रकार के कर्म के लिए उत्तरदायी है। ऐसी मान्यता है कि देवी इच्छा शक्ति, ज्ञान शक्ति और क्रिया शक्ति का समागम है। जब शिव तत्व का मिलन इन त्रिशक्ति के साथ होता है तो स्कन्द का जन्म होता है। स्कंदमाता ज्ञान और क्रिया के स्रोत, आरम्भ का प्रतीक है.इसे हम क्रियात्मक ज्ञान अथवा सही ज्ञान से प्रेरित क्रिया, कर्म भी कह सकते हैं।
प्रायः ऐसा देखा गया की है कि ज्ञान तो है, किंतु उसका कुछ प्रयोजन या क्रियात्मक प्रयोग नहीं होता। किन्तु ज्ञान ऐसा भी है, जिसका ठोस प्रोयोजन, लाभ है, जिसे क्रिया द्वारा अर्जित किया जाता है। आप स्कूल, कॉलेज में भौतिकी, रसायन शास्त्र पड़ते हैं जिसका प्रायः आप दैनिक जीवन में कुछ अधिक प्रयोग करते। और दूसरी ओर चिकित्सा पद्धति, औषधि शास्त्र का ज्ञान दिन प्रतिदिन में अधिक उपयोग में आता है। जब आप टेलीविज़न ठीक करना सीख जाते हैं तो अगर कभी वो खराब हो जाए तो आप उस ज्ञान का प्रयोग कर टेलीविज़न ठीक कर सकते हैं। इसी तरह जब कोई मोटर खराब हो जाती है तो आप उसे यदि ठीक करना जानते हैं तो उस ज्ञान का उपयोग कर उसे ठीक कर सकते हैं। इस प्रकार का ज्ञान अधिक व्यवहारिक ज्ञान है। अतः स्कन्द सही व्यवहारिक ज्ञान और क्रिया के एक साथ होने का प्रतीक है। स्कन्द तत्व मात्र देवी का एक और रूप है।
हम अक्सर कहते हैं, कि ब्रह्म सर्वत्र, सर्वव्यापी है, किंतु जब आपके सामने अगर कोई चुनौती या मुश्किल स्थिति आती है, तब आप क्या करते हैं? तब आप किस प्रकार कौनसा ज्ञान लागू करेंगे या प्रयोग में लाएँगे? समस्या या मुश्किल स्थिति में आपको क्रियात्मक होना पड़ेगा। अतः जब आपका कर्म सही व्यवहारिक ज्ञान से लिप्त होता है तब स्कन्द तत्व का उदय होता है। और देवी दुर्गा स्कन्द तत्व की माता हैं।

24/09/2025

। । या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: । ।

देवी माँ के चतुर्थ रूप का नाम है, देवी कूष्माण्डा।
कूष्माण्डा का संस्कृत में अर्थ होता है लौकी,कद्दू। अब अगर आप किसी को मज़ाक में लौकी, कद्दू पुकारेंगे तो वह बुरा मान जाएंगे और आपके प्रति क्रोधित होंगे।
प्रश्न . कूष्माण्डा का अर्थ क्या है?
उत्तर. लौकी, कद्दू गोलाकार है। अतः यहाँ इसका अर्थ प्राणशक्ति से है - वह प्राणशक्ति जो पूर्ण, एक गोलाकार, वृत्त की भांति।
भारतीय परंपरा के अनुसार लौकी, कद्दू का सेवन मात्र ब्राह्मण, महा ज्ञानी ही करते थे। अन्य कोई भी वर्ग इसका सेवन नहीं करता था। लौकी, कद्दू आपकी प्राणशक्ति, बुद्धिमत्ता और शक्ति को बढ़ाते है। लौकी, कद्दू के गुण के बारे में ऐसा कहा गया है, कि यह प्राणों को अपने अंदर सोखती है, और साथ ही प्राणों का प्रसार भी करती है। यह इस धरती पर सबसे अधिक प्राणवान और ऊर्जा प्रदान करने वाली शाक, सब्ज़ी है। जिस प्रकार अश्वथ का वृक्ष 24 घंटे ऑक्सीजन देता है उसी प्रकार लौकी, कद्दू ऊर्जा को ग्रहण या अवशोषित कर उसका प्रसार करते है।
सम्पूर्ण सृष्टि - प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष , अभिव्यक्त व अनभिव्यक्‍त - एक बड़ी गेंद , गोलाकार कद्दू के समान है। इसमें हर प्रकार की विविधता पाई जाता है - छोटे से बड़े तक।
‘कू’ का अर्थ है छोटा, ‘ष् ’ का अर्थ है ऊर्जा और ‘अंडा’ का अर्थ है ब्रह्मांडीय गोला – सृष्टि या ऊर्जा का छोटे से वृहद ब्रह्मांडीय गोला। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में ऊर्जा का संचार छोटे से बड़े में होता है। यह बड़े से छोटा होता है और छोटे से बड़ा; यह बीज से बढ़ कर फल बनता है और फिर फल से दोबारा बीज हो जाता है। इसी प्रकार, ऊर्जा या चेतना में सूक्ष्म से सूक्ष्मतम होने की और विशाल से विशालतम होने का विशेष गुण है,जिसकी व्याख्या कूष्मांडा करती हैं,देवी माँ को कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है। इसका अर्थ यह भी है, कि देवी माँ हमारे अंदर प्राणशक्ति के रूप में प्रकट रहती हैं।
कुछ क्षणों के लिए बैठकर अपने आप को एक कद्दू के समान अनुभव करें। इसका यहाँ पर यह तात्पर्य है कि अपने आप को उन्नत करें और अपनी प्रज्ञा, बुद्धि को सर्वोच्च बुद्धिमत्ता जो देवी माँ का रूप है, उसमें समा जाएँ। एक कद्दू के समान आप भी अपने जीवन में प्रचुरता बहुतायत और पूर्णता अनुभव करें। साथ ही सम्पूर्ण जगत के हर कण में ऊर्जा और प्राणशक्ति का अनुभव करें। इस सर्वव्यापी, जागृत, प्रत्यक्ष बुद्धिमत्ता का सृष्टि में अनुभव करना ही कूष्माण्डा है

22/09/2025

नव दुर्गा के दूसरे रूप का नाम है माँ ब्रह्मचारिणी।
प्रश्न . ब्रह्म का क्या अर्थ है?
उत्तर. वह जिसका कोई आदि या अंत न हो, वह जो सर्वव्याप्त, सर्वश्रेष्ठ है और जिसके पार कुछ भी नहीं। जब आप आँखे बंद करके ध्यानमग्न होते हैं तब आप अनुभव करते हैं कि ऊर्जा अपनी चरम सीमा या शिखर पर पहुँच जाती है वह देवी माँ के साथ एक हो गयी है और उसी में ही लिप्त हो गयी है। दिव्यता, ईश्वर आपके भीतर ही है, कहीं बाहर नहीं।
आप यह नहीं कह सकते कि ‘मैं इसे जानता हूँ’, क्योंकि यह असीम है; जिस क्षण ‘आप जान जाते हैं’, यह सीमित बन जाता है और अब आप यह नहीं कह सकते कि “मैं इसे नहीं जानता”, क्योंकि यह वहाँ है – तो आप कैसे नहीं जानते? क्या आप कह सकते हैं कि “मैं अपने हाथ को नहीं जानता।” आपका हाथ तो वहाँ है, है न? इसलिये, आप इसे जानते हैं। और साथ ही में यह अनंत है अतः आप इसे नहीं जानते| यह दोनों अभिव्यक्ति एक साथ चलती है। क्या आप एकदम हैरान, चकित या द्वन्द में फँस गए!
अगर कोई आपसे पूछे कि “क्या आप देवी माँ को जानते हैं?” तब आपको चुप रहना होगा क्योंकि अगर आपका उत्तर है कि “मैं नहीं जानता” तब यह असत्य होगा और अगर आपका उत्तर है कि “हाँ मैं जानता हूँ” तो तब आप अपनी सीमित बुद्धि से, ज्ञान से उस जानने को सीमा में बाँध रहे हैं। यह ( देवी माँ ) असीमित, अनन्त हैं जिसे न तो समझा जा सकता है न ही किसी सीमा में बाँध कर रखा जा सकता है।“जानने” का अर्थ है कि आप उसको सीमा में बाँध रहे हैं। क्या आप अनन्त को किसी सीमा में बांध कर रख सकते हैं? अगर आप ऐसा सकते हैं तो फिर वह अनन्त नहीं।
ब्रह्मचारिणी का अर्थ है वह जो असीम, अनन्त में विद्यमान, गतिमान है। एक ऊर्जा जो न तो जड़ न ही निष्क्रिय है, किन्तु वह जो अनन्त में विचरण करती है। यह बात समझना अति महत्वपूर्ण है – एक गतिमान होना, दूसरा विद्यमान होना। यही ब्रह्मचर्य का अर्थ है। इसका अर्थ यह भी है कि तुच्छता, निम्नता में न रहना अपितु पूर्णता से रहना। कौमार्यावस्था ब्रह्मचर्य का पर्यायवाची है क्योंकि उसमें आप एक सम्पूर्णता के समक्ष हैं न कि कुछ सीमित के समक्ष। वासना हमेशा सीमित बँटी हुई होती है, चेतना का मात्र सीमित क्षेत्र में संचार। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी सर्व-व्यापक चेतना है।

Hindu Research and Publications—VHP Thailand wishes all of you a very Happy Navaratri and joyful celebrations of nine di...
22/09/2025

Hindu Research and Publications—VHP Thailand wishes all of you a very Happy Navaratri and joyful celebrations of nine divine nights. May the blessings of the Tridevis bring happiness, prosperity, and peace to you and your family.

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919/448, Jewelry Trade Center Building, , 37th Floor, , Silom Road, Silom Sub-district, , Bangrak District
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