Dr J.M.Tripathi

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Dr  J.M.Tripathi homoeopathic doctor

04/11/2025
अगर आप में भी निम्नलिखित लक्षण रहते हैं      1. सूखा हुआ बुढ़ापे जैसा झुरीदार शरीर नीचे का धड़  दुबला       2. नीचे से ऊ...
16/10/2025

अगर आप में भी निम्नलिखित लक्षण रहते हैं
1. सूखा हुआ बुढ़ापे जैसा झुरीदार शरीर नीचे का धड़ दुबला
2. नीचे से ऊंचे मकानों को और ऊंचाई से नीचे देखने में डर लगता है
3. कहीं आने-जाने की घबराहट में दस्त आ जाना
4. मीठा खाने की इच्छा परंतु मीठे से पेट खराब हो जाना हरे घास की तरह के दस्त आ जाना
5. पेट में हवा का आधिक्य अपचन
अगर आपको भी इस तरह के लक्षण है आपका शरीर सूखा हुआ है दुबला पतला है जवानी में बूढ़े जैसा शरीर चेहरे पर झुर्रियां प्रतिदिन दुबला होता जा रहा है।
यह व्यक्ति जब सड़कों पर चलता है तब ऊंचे ऊंचे मकानों को देखने से घबरा जाता है शरीर कांपने लगता है पसीना आने लगता है इसी प्रकार जब ऊंची जगह से नीचे देखा है तब भी घबराता है किसी पुल को पार नहीं कर सकता ऊंची जगह पर बैठे हुए या पुल पार करते हुए सोचने लगता है कि यहां से गिर पड़ना कितना भयानक होगा कभी-कभी यह विचार उसे पर इतना हावी हो जाता है कि वह सचमुच इस ऊंचाई से नीचे जा गिरता है।
किसी बात के इंतजार से घबराहट पैदा होना जब कोई काम करना होता है तो जब तक व्यक्ति काम के इंतजार में रहता है जब तक काम हो नहीं जाता तब तक उसका समय मस्तिक की कमजोरी के कारण परेशानी में बीतता है।
कहीं जाने की घबराहट में दस्त आ जाना अगर उसको कहीं जाना है किसी शादी विवाह में सिनेमा देखने मंदिर में पूजा करने पेपर देने रोजमर्रा के बिना किसी अन्य काम कोशिश करना है तो वह और चिंता उसे इतना व्याकुल कर देती है कि वह शौच के लिए जाना पड़ता है।
इस रोगी को मीठे की अत्यंत चाह होती है उसे मीठे का कीड़ा समझिए परंतु मीठा उसे नुकसान पहुंचता है वह मीठा चाहता है परंतु मीठा उसे नहीं चाहता मीठा खाने से पेट में हवा भर जाती है खट्टी डकार आने लगती है वह मीठे को पचा नहीं सकता दस्त आने लगते हैं ।
अगर आप में भी इस तरह के लक्षण है तो यह दवा आपके लिए रामबाण सिद्ध हो सकती है।

चार बूंद तीन बार डायरेक्ट जीभ पर या एक चम्मच पानी के साथ
दवा आप किसी भी कंपनी की ले सकते हैं।

15/10/2025

एक आदमी एक मुर्गा खरीद कर लाया। एक दिन वह मुर्गे को मारना चाहता था, इसलिए उस ने मुर्गे को मारने का बहाना सोचा और मुर्गे से कहा, "तुम कल से बाँग नहीं दोगे, नहीं तो मै तुम्हें मार डालूँगा।"

मुर्गे ने कहा, "ठीक है, सर, जो भी आप चाहते हैं, वैसा ही होगा !"
सुबह , जैसे ही मुर्गे के बाँग का समय हुआ, मालिक ने देखा कि मुर्गा बाँग नहीं दे रहा है, लेकिन हमेशा की तरह, अपने पंख फड़फड़ा रहा है।

मालिक ने अगला आदेश जारी किया कि कल से तुम अपने पंख भी नहीं फड़फड़ाओगे, नहीं तो मैं वध कर दूँगा।

अगली सुबह, बाँग के समय, मुर्गे ने आज्ञा का पालन करते हुए अपने पंख नहीं फड़फड़ाए, लेकिन आदत से, मजबूर था, अपनी गर्दन को लंबा किया और उसे उठाया।

मालिक ने परेशान होकर अगला आदेश जारी कर दिया कि कल से गर्दन भी नहीं हिलनी चाहिए। अगले दिन मुर्गा चुपचाप मुर्गी बनकर सहमा रहा और कुछ नहीं किया।

मालिक ने सोचा ये तो बात नहीं बनी, इस बार मालिक ने भी कुछ ऐसा सोचा जो वास्तव में मुर्गे के लिए नामुमकिन था।

मालिक ने कहा कि कल से तुम्हें अंडे देने होंगे नहीं तो मै तेरा वध कर दूँगा।

अब मुर्गे को अपनी मौत साफ दिखाई देने लगी और वह बहुत रोया।
मालिक ने पूछा, "क्या बात है?"
मौत के डर से रो रहे हो?
मुर्गे का जवाब बहुत सुंदर और सार्थक था।

मुर्गा कहने लगा:
"नहीं, मै इसलिए रो रहा हूँ कि, अंडे न देने पर मरने से बेहतर है बाँग देकर मरता...
बाँग मेरी पहचान और अस्मिता थी ,
मैंने सब कुछ त्याग दिया और तुम्हारी हर बात मानी , लेकिन जिसका इरादा ही मारने का हो तो उसके आगे समर्पण नहीं संघर्ष करने से ही जान बचाई जा सकती है, जो मैं नहीं कर सका..."

अपने अस्तित्व, अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए संघर्ष करना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए...!!
मैं यहां मुर्गे की बात नही कर रहा...!!
विचार अवश्य करियेगा....!!

10/10/2025

विद्या विवादाय धनं मदाय शक्तिः परेषां परिपीडनाय ।
खलस्य साधोर विपरीतमेतद् ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय ॥

The mischievous use their education for conflict, money for intoxication, and power for oppressing others. Honest ones use it for knowledge, charity, and protecting others, respectively.

दुर्जन की विद्या विवाद के लिये, धन उन्माद के लिये, और शक्ति दूसरों का दमन करने के लिये होती है। सज्जन इसी को ज्ञान, दान, और दूसरों के रक्षण के लिये उपयोग करते हैं।

03/10/2025

*💥"दस रुपये के बदले,13 लाख"💥*😳🤫👇👇👇

*😳सेठ ने अभी दुकान खोली ही,थी l कि :- एक औरत आई और बोली:- "सेठ जी ये अपने दस रुपये लो"..।👍🙏*

*😳सेठ उस गरीब सी औरत को प्रश्नवाचक नजरों से देखने लगा,जैसे पूछ रहा हो ? कि :- मैंने कब तुम्हे दस रुपये दिये?😳*
*😳औरत बोली :- कल शाम को मै सामान ले गई थी l तब आपको सौ रुपये दिये थे। 70 रुपये का सामान खरीदा था। आपने 30 रुपये की जगह मुझे 40 रुपये वापस दे दिये। "सेठ ने दस रुपये को माथे से लगाया,फिर गल्ले मे डालते हुए बोला :- एक बात बयाइये बहन जी? आप सामान खरीदते समय कितने मौल भाव कर रही थी। पांच रुपये कम करवाने के लिए आपने कितनी बहस की थी,और अब ये दस रुपये लौटाने चली आई? 🤔औरत बोली :-"पैसे कम करवाना मेरा हक है"। मगर एक बार मौल भाव होने के बाद, "उस चीज के कम पैसा देना पाप है।"*😳🤫
*😳सेठ बोला :-लेकिन, आपने कम पैसे कहाँ दिये? आपने पूरे पैसे दिये थे,ये दस रुपया तो मेरी गलती से आपके पास चला गया। रख लेती,तो मुझे कोई फर्क नही पड़ने वाला था। औरत बोली :- आपको कोई फर्क नही पड़ता ? मगर मेरे मन पर हमेशा ये बोझ रहता ? कि:- मैंने जानते हुए भी,आपके पैसे खाये। 🤫इसलिए मै रात को ही,आपके पैसे वापस देने आई थी l मगर उस समय आपकी दुकान बन्द थी।😳 सेठ ने महिला को आश्चर्य से देखते हुए पूछा :- "आप कहाँ रहती हो"..? वह बोली ;- "सेक्टर आठ मे रहती हूँ".। सेठ का मुँह खुला रह गया ...?🤔 बोला :- "आप 7 किलोमीटर दूर से",ये दस रुपये देने,"दूसरी बार आई हो"..?😳🤔 औरत सहज भाव से बोली :- "हाँ दूसरी बार आई हूँ"। मन का सुकून चाहिए,तो -"ऐसा करना पड़ता है"। मेरे पति इस दुनिया मे नही है l मगर उन्होंने मुझे एक ही,बात सिखाई है l कि:- "दूसरे के हक का एक पैसा भी,मत खाना"। 🤫क्योंकि :- "इंसान चुप रह सकता hai...? मगर - "ऊपर वाला कभी भी,हिसाब मांग सकता है ?🤫 और... "उस हिसाब की सजा मेरे बच्चों को भी मिल सकती है"।🤫 इतना कह कर वह औरत चली गई।*🤫😳
*😳सेठ ने तुरंत गल्ले से तीन सौ रुपये निकाले और स्कूटी पर बैठता हुआ अपने नौकर से बोला, :- तुम दुकान का ख्याल रखना,मै अभी आता हूँ। सेठ बाजार मे ही,एक दुकान पर पहुंचा। फिर उस दुकान वाले को तीन सौ रुपये देते हुए बोला :- ये अपने तीन सौ रुपये लीजिए प्रकाश जी। कल जब आप सामान लेने आये थे,तब हिसाब मे ज्यादा जुड़ गए थे।😳प्रकाश हँसते हुए बोला :- "पैसे हिसाब मे ज्यादा जुड़ गए थे,तो आप तब दे देते "? "जब मै दुबारा दुकान पर आता"...। इतनी सुबह सुबह आप तीन सौ रुपये देने चले आये।*😳🤔
*😳सेठ बोला, :- जब आप दुबारा आते ? "तब तक मै मर जाता तब"..?? आपके मुझमे तीन सौ रुपये निकलते है,ये आपको तो पता ही,नही था, न..? इसलिए देना जरूरी था। पता नही ...? "ऊपर वाला कब हिसाब मांगने लग जाए"...? 😳🤔 और... "उस हिसाब की सजा मेरे बच्चों को भी, मिल सकती है"...।*😳🤫
*😳सेठ तो चला गया..? मगर प्रकाश के दिल मे खलबली मच गई। क्योंकि दस साल पहले उसने अपने एक दोस्त से "तीन लाख रुपये"उधार लिए थे। मगर पैसे देने के दूसरे ही दिन,"दोस्त मर गया था"।*😳🤫🤔

*😳दोस्त के घर वालों को पैसों के बारे मे पता नही था। इसलीए किसी ने उससे पैसे वापस नही मांगे थे। प्रकाश के दिल मे लालच आ गया था। इसलिए खुद पहल करके पैसे देने वह नही गया। आज दोस्त का परिवार गरीबी मे जी रहा था। दोस्त की पत्नी लोगों के घरों मे झाडू पौंछा करके बच्चों को पाल रही थी। फिर भी, प्रकाश उनके पैसे हजम किये बैठा था। सेठ का ये वाक्य " पता नही ...? "कब ऊपर वाला हिसाब मांगने बैठ जाए"...? और ...."उस हिसाब की सजा मेरे बच्चों को भी,मिल सकती है"....l "प्रकाश को डरा रहा था"...।*😳🤫
*😳प्रकाश दो तीन दिन तक टेंशन में रहा। आखिर मे उसका जमीर जाग गया। उसने बैंक से तेरह लाख रुपये निकाले और पैसे लेकर दोस्त के घर पहुँच गया। दोस्त की पत्नी घर पर ही,थी। वह अपने बच्चो के पास बैठी बतिया रही थी,कि प्रकाश जाकर उसके पैरों मे गिर गया।एक एक रुपये के लिए संघर्ष कर रही,उस"विधवा औरत"के लिए 13 लाख रुपये बहुत बड़ी रकम थी। पैसे देखकर उसकी आँखों मे आँसू आ गए। वह प्रकाश को"दुआएं"देने लगी,जो उसने ईमानदारी दिखाते हुए,पैसे लौटा दिये।👌👍*

*😳🤫"ये वही औरत थी"....,"जो" "सेठ को दस रुपये लौटाने,दो बार गई थी"...।*😳🤫
*💥 अपनी "मेहनत" और "ईमानदारी"का खाने वालो की ईश्वर"परीक्षा"जरूर लेता है l मगर कभी भी,उन्हे अकेला नही छोड़ता। एक दिन जरूर सुनता है। "ऊपर वाले पर भरोसा रखिये"।
🌹
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राष्ट्र समर्पण और साधना की शताब्दी यात्रा का यह ऐतिहासिक क्षण संपूर्ण भारत के लिए गर्व का विषय है।आज हमारे यशस्वी प्रधान...
01/10/2025

राष्ट्र समर्पण और साधना की शताब्दी यात्रा का यह ऐतिहासिक क्षण संपूर्ण भारत के लिए गर्व का विषय है।
आज हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मा. सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले जी द्वारा संघ पर आधारित स्मारक डाक टिकट एवं स्मृति सिक्का जारी किया गया।
यह केवल किसी संगठन की उपलब्धि नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा, संस्कृति की धारा और मातृभूमि को परम वैभव तक पहुँचाने के संकल्प की शताब्दी है।
संघ की यह गौरवमयी यात्रा आने वाली पीढ़ियों को सदैव राष्ट्रप्रेम, सेवा और त्याग का पथ दिखाती रहेगी।
यह क्षण हम सबके लिए प्रेरणा है कि हम भी राष्ट्र के लिए कुछ कर गुजरें।
#संघशताब्दी

23/09/2025

✍,,,
*_कुछ ऐसी दवायें भी होती हैं , जिनके उपयोग से बीमारियाँ नहीं होती हैं,,,,,_*
*1. कसरत भी एक दवाई है*
*२ . सुबह शाम घूमना भी एक दवाई है*
*३ . व्रत रखना भी एक दवाई है*
*४ . परिवार के साथ भोजन करना भी एक दवाई है*
*५ . हँसी मज़ाक़ करना भी एक दवाई है*
*६ . गहरी नींद भी एक दवाई है*
*७. अपनों के संग वक़्त बिताना भी एक दवाई है*
*८. ख़ुश रहना भी एक दवाई है*
*९. कुछ मामलों में चुप रहना भी एक दवाई है*
*१०. लोगों का सहयोग करना भी एक दवाई है*
*और ,,,,एक अच्छा दोस्त तो पूरी की पूरी दवाई की दुकान है*
🌹🎁🌹

23/09/2025

*यात्रा बहुत छोटी है :*

एक स्त्री बस में चढ़ी और एक पुरुष के बगल में बैठते समय उसके बैग से उसे चोट लग गई... लेकिन वह पुरुष चुप रहा, कुछ नहीं बोला।
जब वह व्यक्ति गुमसुम बैठा रहा, तो उस महिला ने पूछा – “मैंने आपको बैग से मारा, फिर आपने शिकायत क्यों नहीं की?”

उस पुरुष ने मुस्कुराकर उत्तर दिया:
“इतनी छोटी-सी बात पर नाराज़ होने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि हमारी साथ की *यात्रा बहुत छोटी* है... मैं अगले स्टॉप पर ही उतर रहा हूँ...!”

इस उत्तर से महिला बहुत भावुक हुई। उसने उस पुरुष से माफी माँगी और मन ही मन सोचा कि *“यात्रा बहुत छोटी है”* – ये शब्द सोने से लिखे जाने चाहिए।

हमें यह समझना चाहिए कि इस संसार में हमारा समय इतना कम है कि बेकार की बहस, जलन, दूसरों को माफ़ न करना, असंतोष और नकारात्मक भावनाओं में उलझना वास्तव में समय और ऊर्जा की मूर्खतापूर्ण बर्बादी है।

👉 किसी ने आपका दिल तोड़ा है? शांत रहिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

👉 किसी ने धोखा दिया, धमकाया, अपमान किया?
आराम कीजिए – तनाव मत लीजिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

👉 किसी ने बेवजह आपका अपमान किया?
शांत रहिए... नज़रअंदाज़ कीजिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

👉 किसी ने अप्रिय टिप्पणी की?
माफ़ कर दीजिए, नज़रअंदाज़ कीजिए,
उन्हें अपनी दुआओं में रखिए और निःस्वार्थ प्रेम कीजिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

समस्याएँ तभी समस्या बनती हैं जब हम उन्हें मन में जगह देते हैं। याद रखिए, हमारा “साथ का सफ़र बहुत छोटा है”।

इस यात्रा की लंबाई किसी को नहीं पता...
कल किसने देखा है? यह सफ़र कब रुक जाएगा, कोई नहीं जानता।

तो आइए, अपने मित्रों, रिश्तेदारों और परिवार का सम्मान करें... उनका आदर करें...
हम दयालु, प्रेमपूर्ण और क्षमाशील बनें।
कृतज्ञता और आनंद से भरा जीवन जिएँ।
क्योंकि सचमुच हमारा साथ का सफ़र बहुत छोटा है...!

अपनी मुस्कान सभी के साथ बाँटिए...
अपनी ज़िंदगी को सुंदर और आनंदमय बनाइए...
क्योंकि चाहे समूह कितना ही बड़ा क्यों न हो,
हमारी *यात्रा बहुत छोटी है...!*
किसे कहाँ उतरना है, यह तो किसी को भी मालूम नहीं।

🙏🙏

17/09/2025

ब्रह्मा जी के पुत्र देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

17/09/2025

असली मित्र वो नही होता जो मित्र के दुःख से दुःखी हो असली मित्र वो है जो मित्र की खुशी से खुश हो।

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