15/09/2019
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*स्वास्थ्य और सौन्दर्य का एक्यूप्रेशर चिकित्सा के साथ सम्बन्ध*
*परिचय-*
एक्यूप्रेशर चिकित्सा वह चिकित्सा है जिसमें अपने ही शरीर में पाये जाने वाले बिन्दुओं पर दबाव देकर विभिन्न प्रकार के रोगों का उपचार किया जाता है अर्थात इस चिकित्सा में अपनी अंगुलियों और अंगूठों की सहायता से एक विशेष प्रकार की विधि के द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों से जुडे विशेष संवेदनशील स्थान या प्रतिबिम्ब केन्द्र (शरीर के ऊर्जा नियंत्रक) बिन्दुओं पर दबाव देकर अनेकों रोगों को ठीक किया जाता है। इस चिकित्सा के द्वारा बिना किसी दवाई के रोगों को ठीक किया जाता है। एक्यूप्रेशर चिकित्सा में निपुणता हासिल करना कोई आम बात नहीं है।
रोजाना 10 मिनट तक अपनी बाईं हथेली पर सरसों का तेल लगाकर दाएं पैर के तलुवे की मालिश और दाईं हथेली पर सरसों का तेल लगाकर बाएं पैर के तलुवे की मालिश करने से अनेक रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है। ऐसा करने से शरीर की रोगों से लड़ने की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है तथा शरीर में ऐसी भी शक्तियां आ जाती हैं जो रोगों को ठीक कर देती है।
यदि कोई मनुष्य सुबह के समय में रोजाना व्यायाम करता है तो उसके शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति आ जाती है तथा उसकी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। लेकिन व्यायाम करने के लिए भी कुछ नियम होते है जैसे- व्यायाम हमेशा सुबह के समय में करना चाहिए, खाना खाकर तुरन्त व्यायाम नहीं करना चाहिए तथा व्यायाम हमेशा खाली पेट करना चाहिए।
*एक्यूप्रेशर चिकित्सा के लाभ निम्नलिखित है-*
इस चिकित्सा के द्वारा हाथ-पैरों की ऐंठन तथा दर्द दूर हो जाता है और स्वास्थ्य तथा सौन्दर्य में वृद्धि होती है।
इस चिकित्सा की सहायता से पैरों और तलुवों पर मालिश करने से बहुत लाभ मिलता है।
इस चिकित्सा के द्वारा शरीर के अंगों के कई रोग ठीक हो सकते हैं।
एक्यूप्रेशर चिकित्सा का रोजाना शरीर पर प्रयोग करने से शरीर में बहुत समय के लिए यौवन शक्ति बनी रहती है।
इस चिकित्सा के द्वारा पाचनशक्ति में सुधार हो जाता है।
मेरुदण्ड (रीढ़ की हड्डी) तथा कई प्रकार की हडि्डयों के दर्द से छुटकारा मिल जाता है।
त्वचा के रोग भी इस चिकित्सा के द्वारा ठीक हो सकते हैं।
इस चिकित्सा के द्वारा स्रावी ग्रंथियों की कार्य-प्रणाली में सुधार तथा उसमें होने वाले रोगों का उपचार हो सकता है।
इस चिकित्सा के द्वारा दिल का दौरा, लकवा, सायटिका, गठिया, रक्तचाप तथा मधुमेह रोगों का उपचार हो सकता है।
एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा मूत्र-प्रणाली में भी सुधार हो सकता है।
इस चिकित्सा के द्वारा मस्तिष्क से सम्बन्धित रोग भी ठीक हो सकते हैं।
एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा हृदय रोग का उपचार भी आसानी से किया जा सकता है।
स्त्रियों के मासिकधर्म के दौरान होने वाले रोगों का उपचार भी एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा किया जा सकता है।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि एक्यूप्रेशर चिकित्सा एक प्रकार की ऐसी चिकित्सा है जिससे मनुष्यों के रोगों का उपचार बिना किसी शुल्क तथा बिना किसी परेशानी के किया जा सकता है और इस उपचार का फायदा भी बहुत अधिक होता है।
*मन की सुन्दरता-*
मनुष्य के तन और मन की सुन्दरता के द्वारा ही मनुष्य की जीवनशैली का विकास होता है। यदि किसी मनुष्य के मन में कोई गलत धारणा हो जाती है या वह मनुष्य किसी के प्रति भेद-भाव, ईर्ष्या, जलन रखता है तो उस मनुष्य का मन और तन स्वच्छ नहीं होता है क्योंकि ऐसे मनुष्य अपने आपको हानि तो पहुंचाते ही हैं साथ ही दूसरों का भी नाश करते हैं। इसलिए सभी मनुष्यों को अपने तन और मन को स्वच्छ रखना चाहिए।
प्रत्येक व्यक्ति को अपने मन और तन की सुन्दरता को बनाये रखने के साथ-साथ कई प्रकार के गुणों को भी अपने अन्दर संजोकर रखना चाहिए जैसे-त्याग, सहनशीलता, क्षमा, सेवा, हृदय की सुन्दरता, स्नेह, करुणा, मानवता तथा समर्पण आदि। यदि किसी मनुष्य में इस प्रकार के गुण नहीं होते हैं तो उस मनुष्य के तन और मन की सुन्दरता का विकास नहीं हो सकता है। इसलिए तन और मन की सुन्दरता के लिए सभी मनुष्यों को इन सभी गुणों का अपने अन्दर समावेश करना चाहिए।