16/10/2022
कैसे और कब होता है भाग्य उदय
मार्गदर्शन सही होना चाहिए जीवन मे ख़ुशी तभी आती है
व्यक्ति जीवन में सफल हो तो जीवन में खुशियां अपने आप आ ही जाती हैं लेकिन असफल होने पर सारे सुख-साधन व्यर्थ और जीवन नीरस लगने लगता है। जीवन में ऊर्जा आत्मविश्वास बनकर हमारे व्यक्तित्व में झलकती है तो सफलता बनकर करियर में। जितना हमारे व्यवक्तिगत गुण और संस्कार महत्व रखते हैं, उतना ही महत्व रखता है हमारा भाग्य और हमारे आसपास के वातावरण में मौजूद अदृश्य ऊर्जाशक्तियां।
हकीकत में धन ध+न का रहस्य वे ही समझ पाएं है जो ध यानी भाग्य और न यानी जोखिम दोंनो को साथ लेकर चलते रहे हैं। जन्म कुंडली में जिस स्थान पर धनु और वृश्चिक राशियां होंगी उसी स्थान से धन कमाने के रास्ते खुलेंगे। जब जोखिम है तो भाग्य को आगे आना ही है, जब तक जोखिम नहीं है तब तक भाग्य भी नहीं है।
गुरु सोना है तो मंगल पीतल अब होता यह है की ऐसी अवस्था में जब भी मंगल और गुरु की युति हो जाती है तो पीतल सोने की चमक को दबाने लगता है। सोने में मिलावट होनी शुरू हो जाती है अर्थात काबिल होते हुए भी आपकी क्षमताओं का उचित मूल्यांकन नहीं होता। आपसे कम गुणी लोग आपको ओवरटेक करके आगे निकल जाते हैं और धन कहां से बचना है जब व्यय के रूप में मंगल व रोग के रूप में शुक्र लग्न में बनने वाले धनपति योग को तबाह करने पर तुल जाते हैं तो पैसा आने से पहले उसके जाने का रास्ता तैयार रहता है।
ऐसी अवस्था में किसी वशिष्ट विद्वान के परामर्श से सवा सात रत्ती का पुखराज धारण करें। प्रतिदिन माथे पर चन्दन का तिलक लगाएं, शुक्र को हावी न होने दें अर्थात महंगी बेकार की वस्तुएं न खरीदें ,खाने पीने ,पार्टी दावत,व महंगे परिधानों पर बेकार खर्च न करें।
कुंडली में लग्न से नवां भाव भाग्य स्थान होता है। भाग्य स्थान से नवां भाव अर्थात भाग्य का भी भाग्य स्थान पंचम भाव होता है। द्वितीय व एकादश धन को कण्ट्रोल करने वाले भाव होते हैं। तृतीय भाव पराक्रम का भाव है.अततः कुंडली में जब भी गोचरवश पंचम भाव से धनेश, आएश, भाग्येश व पराक्रमेश का सम्बन्ध बनेगा वो ही समय आपके जीवन का शानदार समय बनकर आएगा। ये सम्बन्ध चाहे ग्रहों की युति से बने चाहे आपसी दृष्टि से बनें।
💐💐💐भाग्य साथ क्यो नही देरहा है। 💐💐
💐प्रत्येक व्यक्ति को कभी ना कभी यह जरूर लगता है कि वह जितनी मेहनत कर रहा है, उसके अनुसार उसे परिणाम नहीं मिल रहे हैं। यह होता भी है, अनेक व्यक्ति कड़ी मेहनत करते हैं, दिनभर दौड़धूप करते रहते हैं, कठिन परिश्रम करते हैं, लेकिन फिर भी उनके जीवन में तरक्की दूर-दूर तक नहीं दिखाई देती। वे अनेक वर्षों तक अपनी लाइफ को ठीक-ठाक स्थिति में लाने का संघर्ष ही करते रहते हैं। यदि ज्योतिष की दृष्टि में इस स्थिति को देखें, तो इसे भाग्य का कमजोर होना कहा जाता है
💐।ज्योतिष में जन्मकुंडली का नवम भाव भाग्य भाव कहलाता है। किसी व्यक्ति का भाग्य कैसा होगा, यह उसकी कुंडली के नवम भाव से देखकर पता लगाया जा सकता है। इस भाव में जो राशि होती है, इस भाव के राशि के स्वामी कोनसे ग्रहः है उसके अनुसार तय किया जाता हैआपका भाग्य कैसा है
💐, निश्चित रूप से आपकी कुंडली के नवम भाव से ही पता लगता है, लेकिन नवम से नवम अर्थात पंचम भाव और पंचमेश की स्थिति का भी अध्यन भाग्य सम्बंदि जानकारी के लिये अवशय करना चाहिए।
💐 यदि जातक की कुंडली नवम के साथ पंचम भाव में भी पाप ग्रह हों तो भाग्योदय में बाधा आती है।
💐 भाग्य, यश और सम्मान के दाता सूर्य की स्थिति, उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि, नीच ग्रहों की दृष्टि होने पर भाग्योदय नहीं हो पाता है।
💐 यदि नवम भाव में बृहस्पति नीच का होकर पाप ग्रहों के प्रभाव में है तो धन, वैभव, नौकरी, पति, पुत्र से जुड़ी समस्याएं आती हैं
💐ये एक संक्षिप्त विवरण है। भाग्योदय में बाधा की अनेक ओर भी स्थितियां हो सकती हैं,
👌👌भाग्य उदय के लिये क्या करे 💐👌
💐सबसे पहले देखें कि आपकी कुंडली के नवम भाव में कौन सा ग्रह है, उस ग्रह की मजबूती और प्रसन्न्ता के उपाय करने से भाग्योदय की बाधा दूर होती है।
💐नवम भाव में बैठे ग्रह यदि शुभ हैं, जैसे सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र हो तो ये शुभ है
ओर कुंडली मे शुभ भाव के स्वामी है तो इनके रत्न धारण करना चाहिये ।
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