Vastu Bhagyam

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07/10/2023
06/11/2018

Wishing you joy and prosperity this Diwali

16/10/2017

उपाय : उचित घर वह है जिसकी दिशा ईशान, उत्तर, वायव्य या पश्‍चिम में हो। यदि ऐसा नहीं है तो प्रतिदिन सुबह और शाम कर्पूर जलाएं। घर के जिस हिस्से में वास्तुदोष हो वहां कर्पूर की एक डली रख दें। उस डली से सुगंध निकलती रहेगी और वह वहां का वातावरण बदल देगी। घर के सभी सदस्यों के सोने के स्थान उचित दिशा में रखें।

घर में मोर पंख रखें। इससे भी वास्तुदोष दूर होता है। माना जाता है कि घर के दक्षिण-पूर्वी कोने में मोर का पंख लगाने से भी घर में बरकत बढ़ती है। यदि मोर पंख को घर के उत्तर-पश्चिमी कोने में रखें तो जहरीले जानवरों का भय नहीं रहता है। अपनी जेब या डायरी में मोर पंख रखने पर राहु दोष से ‍मुक्ति मिलती है।

15/10/2017

बेडरूम में भगवान के कैलेंडर या तस्‍वीरें या फिर धार्मिक आस्‍था से जुड़ी वस्‍तुएं नहीं रखनी चाहिए। बेडरूम की दीवारों पर पोस्‍टर या तस्‍वीरें नहीं लगाएं तो अच्‍छा है। हां अगर आपका बहुत मन है, तो प्राकृतिक सौंदर्य दर्शाने वाली तस्‍वीर लगाएं। इससे मन को शांति मिलती है, पति-पत्‍नी में झगड़े नहीं होते

15/10/2017

भगवान विश्वकर्मा सृजन के देवता हैं। वह वास्तुदेव तथा माता अंगिरसी के पुत्र हैं। भगवान विश्वकर्मा वास्तुकला के आचार्य माने जाते हैं। उनकी जयंती पर उनकी आराधना के साथ औजारों की पूजा की जाती है। माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा के पूजन से मशीनरी लंबे समय तक साथ निभाती है। आप जिन मशीनरी का उपयोग करते हैं उनकी साफ-सफाई रखें। इनकी अच्छे से देखरेख करें।
भगवान विष्णु के नाभि-कमल से भगवान ब्रह्मा उत्पन्न हुए। भगवान ब्रह्मा के पुत्र का नाम धर्म था, जिनका विवाह वस्तु से हुआ। धर्म और वस्तु के संसर्ग से सात पुत्र उत्पन्न हुए। सातवें पुत्र का नाम वास्तु रखा गया, जो शिल्पशास्त्र में पारंगत थे। वास्तु के पुत्र का नाम विश्वकर्मा रखा गया।
सोने की लंका, इंद्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, पांडवपुरी, कुबेरपुरी, शिवमंडलपुरी तथा सुदामापुरी आदि का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया। उन्होंने ही उड़ीसा में स्थित भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं सुभद्रा की मूर्ति का निर्माण भी किया। भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते समय दीप, धूप, पुष्प, गंध, सुपारी आदि का प्रयोग करना चाहिए। सभी औजारों की तिलक लगाकर पूजन करना चाहिए। माना जाता है कि भगवान विश्‍वकर्मा पानी में चल सकने वाली खड़ाऊ भी बना सकते थे।

26/01/2016

क्या मैं सही दिशा में हूं या या मैं जो कर रहा हूं वो सही है? यह एक ऐसा प्रश्न है जिसे हम दिन में न जाने कित्नी बार अपने आप से पूछते होंगे। हर स्थति में यह प्रश्न हमारे सामने होता है।

जब भी हम अपने जीवन में अपने किसी बडे उद्देश्य, लक्ष्य की प्राप्त की तैयारी या एक नए उम की शुरुआत् के समय गहरी सांस लेकर अपनी ऊर्जाओं को एकत्रित करते हैं, तभी ये प्रश्न हमारे सामने खडा हो जाता है। और यदि हमें अपनी मेहनत, अपने प्रयासों को अपेक्षित परिणाम नहीं मिलता है तो एक बार फिर हम यही सोचने लगते हैं कि या मैं सही दिशा में जा रहा हूं।

पढ़ें: कामसूत्र के रचनाकार महर्षि वात्स्यायन थे ब्रह्मचारी

आज हमारे जीवन में जो भी घटित हो रहा है, अच्छा या बुरा, यदि अच्छा घटित हुआ तो ठीक और यदि कुछ अनिष्ट हुआ तो हम कहते हैं कि ये ऊपरवाले की मर्जी थी या किसी व्यक्ति पर हम उस बुरी घटना का दोष डाल देते हैं। लेकिन एक प्रश्न ये है कि या हम की अपने आस-पास प्रवाहित होने वाली तरंगों के प्रति सजग हुए हैं?

या हमारे घर की तरंगे सही और व्यवस्थित हैं? ऐसा हमारे साथ ही यों होता है? या की ये सोचा है कि घर के एक कमरे में अच्छी नींद यों आती है और दूसरे कमरे में नहीं या घर की किसी विशेष जगह पर परिवार के लोगों के विचार एक नहीं हो पाते हैं? यह सब वास्तु की तरंगों की वजह से होता है। इन तरंगों का हमारे जीवन में वही महत्व है जैसे योग और ध्यान साधना में श्वास के प्रति जाग्रत का।

पढ़ें:कुछ इस तरह हो सकता है आतंकवाद का अंत

कई बार आपने यह महसूस किया होगा कि आप कुछ खरीदने के लिए किसी दुकान में जाते हैं और वहां कुछ नए प्रोडक्ट देता हैं और आप अपनी सोच से ज्यादा उन्हें खरीद लेते हैं, हालांकि उनको खरीदने की आपकी योजना नहीं थी, और फिर घर आकर आप सोचते हैं कि आपने उसे यों खरीद लिया।

ठीक इसके विपरीत् ऐसा तभी होता है कि आप कुछ सामान लेने के लिए बाजार गए और बिना कुछ लिए ही वापस आ गए। ये सब हमारे आस-पास प्रवाहित् हो रही ऊर्जाओं की वजह से होता है।

ध्यान देने की बात ये है कि मेहनत तो हर व्यक्ति अपने जीवन में कर रहा है। लेकिन अगर हम अपने घर और कार्यक्षेत्र की तरंगों, ऊर्जाओं जो, वास्तु को ध्यान देकर और उसके प्रति सजग होकर काम करते हैं तो अपने जीवन में सफलता के अनुपात को बढा सकते हैं।

14/01/2016

जब घर में हों मकड़ी के जाले



वास्‍तु के अनुसार मकड़ी के जाले घर में बहुत अशुभ माने जाते हैं। अमूमन देखा जाता है घर के निचले हिस्सों की तो सफाई हो जाती है लेकिन छत या ऊपरी हिस्सों की ठीक से सफाई नहीं हो पाती। ऐसे में वहां मकड़ी द्वारा जाले बना लिए जाते हैं। घर में ये जाले होना अशुभ माना जाता है।

लोग कहते हैं कि घर में मकड़ी के जाले नहीं होना चाहिए। ये अशुभ होते हैं। ये अंधविश्वास नहीं है बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक और धार्मिक कारण मौजूद हैं। मकड़ी के जालों की संरचना कुछ ऐसी होती है कि उसमें नकारात्मक ऊर्जा एकत्रित हो जाती है। इसलिए घर के आनजिस भी कोने में मकड़ी के जाले होते हैं, वह कोना या हिस्सा नकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। इस कारण घर में कलह, बीमारियां व अन्य कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं।

मकड़ी के एक जाले में असंख्य सूक्ष्मजीव रहते हैं जो कि हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पंहुचाते हैं। इसलिए कहा जाता हैं कि अगर घर में मकड़ी के जाले होते हैं तो घर की सुख-समृद्धि का नाश होने लगता है क्योंकि नकारात्मक ऊर्जा के कारण घर का माहौल इतना अशांत हो जाता है कि व्यक्ति चाहकर भी अपने काम को मन लगाकर नहीं कर पाता है। इसलिए मकड़ी के जालों को अशुभ माना जाता है।

ध्यान रखें

24/10/2015

नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए अगरबत्तियां: प्रत्येक घर में भगवान की पूजा करने के लिए धूप व अगबत्तियों का प्रयोग करते हैं। अगरबत्तियों की मोहक सुगंध से आसपास का वातावरण सुगंधित हो उठता है। ये बहुत ही उपयोगी होती हैं। क्योंकि, इनसे नकारात्मक ऊर्जाओं वाली वायु शुद्ध हो जाती है। धूप जलाने से ऊर्जा का सृजन होता है, स्थान पवित्र हो जाता है व मन को शान्ति मिलती है। इसलिए, प्रतिदिन अगरबत्तियां और धूप जलाना अति उत्तम और बहुत ही शुभ है।

24/10/2015

दरवाजे के पास पानी: दरवाजे के पास पानी होना बहुत ही मंगलकारी माना जाता है। विशेष रूप से यह उत्तर-पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर के दरवाजों के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। पानी का पात्र अत्यंत सावधानी के साथ रखना चाहिए। इस पात्र को दरवाजे के पास बाईं ओर रखना चाहिए। जब आप
घर में खडे हों और बाहर की ओर देख रहे हों, तो आपके बाईं ओर पानी हो, दरवाजे के दाईं ओर भूल कर भी पानी का पात्र मत रखिए, क्योंकि इसका उल्टा असर हो सकता है । इसके कारण घर का पुरूष किसी अन्य महिला के प्रति आकर्षित हो सकता है अथवा वैवाहिक जीवन में किसी तीसरे का प्रवेश हो सकता है ।

24/10/2015

वर्तमान युग में वास्तु को मिली प्रसिद्ध स्वयं उसकी प्रासंगिकता का प्रमाण है। इससे पहले कि हम वास्तु के विभिन्न पहलुओं और हमारे मानसिक व शारीरिक हितों पर उनके प्रभाव की बात करें, यह उचित होगा कि इस प्राचीन विज्ञान के कुछ मौलिक तथ्यों के बारे में पाठकों को परिचित करा दिया जाए। इस अध्याय में वास्तु के धार्मिक व आध्यात्मिक पक्षों, उसके मूल सिद्धांतों और दिशाओं के महत्त्व के बारे में बताने का प्रयास किया गया है।

प्र.1. ‘वास्तु’ से आप क्या समझते हैं ?
उ. ‘वास्तु’ शब्द संस्कृत ‘वास’ शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है—निवास करना। यह ‘वास्तु’ और ‘वासना’ शब्दों से भी संबंध रखता है। इसका अभिप्राय है—जीवन को इच्छाओं और वास्तविकता के अनुरूप जीना।
प्र.2. क्या आप साधारण शब्दों में बता सकते हैं कि वास्तुशास्त्र क्या है ?
उ. यह प्रकृति के सिद्धांतों के अनुरूप जीने का प्राचीन विज्ञान है।
प्र.3. यह किस हद तक सही है कि वास्तु सिर्फ एक अंधविश्वास है ?
उ. वास्तु ठोस सिद्धांतो पर आधारित है, जिनका वैज्ञानिक आधार मौजूद है।
प्र.4. वास्तु का मूल सिद्धांत क्या है
उ. हमारा शरीर और यह पूरा ब्रह्मांड पाँच तत्त्वों—वायु, जल, अग्नि, पृथ्वी और आकाश से बना है। इन सभी तत्त्वों का सही दिशाओं में संतुलन बनाए रखना ही वास्तु का सिद्धांत है।
प्र.5. क्या वास्तु एक धार्मिक पद्धति है, जो सिर्फ हिंदुओं को प्रभावित करता है ?
उ. जिस प्रकार सूर्य की ऊर्जा प्रत्येक को लाभ पहुँचाती है उसी प्रकार वास्तु के सिद्धांत सभी मतों के लोगों को प्रभावित करते हैं।

प्र.6. क्या इसका धर्म से कोई संबंध है ?
उ. धर्म जीने की एक राह है और वह हमारे जीने के तरीके के अनुरूप होता है। इस ब्रह्मांड में बहुत सी शक्तियां मौजूद हैं और वे सकारात्मक व नकारात्मक ऊर्जा छोड़ती हैं। वास्तु नकारात्मक शक्तियों का मुकाबला करने और सकारात्मक शक्तियों को ग्रहण करने में मदद करता है।
प्र.7. क्या वास्तु का कोई आध्यात्मकि पक्ष भी है ?
उ. बिलकुल। वास्तु के सिद्धांतों के अनुरूप जीने से शांति प्राप्त होती है, जो हमारी आत्मा और जैव विद्युत क्षेत्र को शक्ति देता है।
प्र8. वास्तु में कितनी दिशाएँ हैं ?
उ. दिशाएँ सिर्फ वास्तु में नहीं हैं बल्कि वे सूर्य से संबद्ध हैं। ये दिशाएँ हैं—पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम।

2. वास्तुशास्त्र की उत्पत्ति

सारतत्त्व

वास्तुशास्त्र की उत्पत्ति संभवतः वैदिक काल में हुई। महाभारत, रामायण, मत्स्यपुराण आदि महाकाव्यों में वास्तु का वर्णन मिलता है। इंद्रप्रस्थ का निर्माण वास्तु के नियमों के अनुसार किया गया था; लेकिन एक बड़ी गलती के कारण यह कौरवों के विनाश का साक्षी बना। द्वारका का प्राचीन नगर, जो बाद में डूब गया, वास्तु-आधारित था।

प्र.9. क्या वेदों में वास्तुशास्त्र का कोई उल्लेख मिलता है ?
उ. ‘ऋग्वेद’ में इस बात का उल्लेख है कि किसी घर के निर्माण के पहले ‘वास्तु स्पतिदेव’ की पूजा कराई जानी चाहिए। इसमें वास्तु शांति मंत्र भी दिया गया है।
प्र.10 वास्तुशास्त्र से संबंधित प्राचीन संबंधित ग्रंथ कौन से हैं ?
उ. संस्कृत में वास्तुशास्त्र के कई ग्रंथ हैं। इनमें दो प्रमुख हैं—विश्वकर्मा प्रकाश’ और ‘समरंगन सूत्रधार’।
प्र.11. क्या किसी वास्तु—आधारित प्राचीन नगर का कोई प्रमाण मिला है ?
उ. द्वारका का प्राचीन नगर वास्तु के नियमों के अनुरूप बनाया गया था।
प्र.12. क्या हमारे धार्मिक ग्रंथों में वास्तु का कोई उल्लेख है ?
उ. हाँ, मत्स्यपुराण, रामायण और महाभारत में वास्तु का उल्लेख किया गया है।
प्र.13 कौरवों के विनाश में वास्तु का क्या योगदान था ?
उ. इंद्रप्रस्थ के बीचोबीच एक कुआँ खुदवाया गया था, जो वास्तु के सिद्धांतों के बिलकुल विपरीत था।

18/10/2015

लंबी बीमारी से राहत के वास्तु उपाय
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कभी कभी घर में बीमारी आकर जाने का नाम ही नही लेती। तमाम उपचार व् सावधानियों के बाद भी बीमारी घर स्थायी हो जाती है. ऐसे में बीमार वयक्ति के साथ साथ घर के अन्य सदस्य भी परेशान रहते है. ऐसे में रोग के उपचार के साथ वास्तु के नियमों का भी पालन किया जाए तो बीमारी से जल्दी मुक्ति मिलेगी। आइये जानते है क्या है ये बीमारी से बचने के वास्तु नियम
बीमार वयक्ति का कमरा फैला हुआ नही होना चाहिए और उसमे अनावश्यक सामान इकट्ठा ना करें।
जिन घरों में किचन ईशान कोण (नार्थ-ईस्ट) में होती है वहाँ बीमारी अपना घर बना लेती है. इसका उपाय करना जरूरी होता है,
बीमार वयक्ति के पांव गेट या टॉयलेट की तरफ नही होने चाहिए, दीवार की तरफ पैर करने चाहिए.
कभी भी उत्तर की तरफ सर करके नही सोना चाहिए। उत्तर की तरफ पैर करके सोना सेहत के लिए अच्छा रहता है.
यदि पलंग के ऊपर कोई बीम है तो पलंग वहाँ से हटा दे
शौचालय के पास या ब्रह्मस्थान पर कोई भंडार या भरी सामान रखने से पेट सम्बन्धी परेशानी आने की प्रबल सम्भावना बनती है
यदि कोई वयक्ति एक कमरे में काफी दिन से बीमार चल रहा है तो उसका कमरा बदल दे

18/09/2015

वास्तु दोष निवारण के कुछ सरल उपाय—

कभी-कभी दोषों का निवारण वास्तुशास्त्रीय ढंग से करना कठिन हो जाता है। ऐसे में दिनचर्या के कुछ सामान्य नियमों का पालन करते हुए निम्नोक्त सरल उपाय कर इनका निवारण किया जा सकता है।

* पूजा घर पूर्व-उत्तर (ईशान कोण) में होना चाहिए तथा पूजा यथासंभव प्रातः 06 से 08 बजे के बीच भूमि पर ऊनी आसन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर ही करनी चाहिए।

* पूजा घर के पास उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में सदैव जल का एक कलश भरकर रखना चाहिए। इससे घर में सपन्नता आती है। मकान के उत्तर पूर्व कोने को हमेशा खाली रखना चाहिए।

* घर में कहीं भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखना चाहिए। उसे पैर नहीं लगना चाहिए, न ही लांघा जाना चाहिए, अन्यथा घर में बरकत और धनागम के स्रोतों में वृद्धि नहीं होगी।

* पूजाघर में तीन गणेशों की पूजा नहीं होनी चाहिए, अन्यथा घर में अशांति उत्पन्न हो सकती है। तीन माताओं तथा दो शंखों का एक साथ पूजन भी वर्जित है। धूप, आरती, दीप, पूजा अग्नि आदि को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं। पूजा कक्ष में, धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड हमेशा दक्षिण पूर्व में रखें।

* घर में दरवाजे अपने आप खुलने व बंद होने वाले नहीं होने चाहिए। ऐसे दरवाजे अज्ञात भय पैदा करते हैं। दरवाजे खोलते तथा बंद करते समय सावधानी बरतें ताकि कर्कश आवाज नहीं हो। इससे घर में कलह होता है। इससे बचने के लिए दरवाजों पर स्टॉपर लगाएं तथा कब्जों में समय समय पर तेल डालें।

* खिड़कियां खोलकर रखें, ताकि घर में रोशनी आती रहे।

* घर के मुख्य द्वार पर गणपति को चढ़ाए गए सिंदूर से दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं।

* महत्वपूर्ण कागजात हमेशा आलमारी में रखें। मुकदमे आदि से संबंधित कागजों को गल्ले, तिजोरी आदि में नहीं रखें, सारा धन मुदमेबाजी में खर्च हो जाएगा।

* घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखरे हुए या उल्टे पड़े हुए नहीं हों, अन्यथा घर में अशांति होगी।

* सामान्य स्थिति में संध्या के समय नहीं सोना चाहिए। रात को सोने से पूर्व कुछ समय अपने इष्टदेव का ध्यान जरूर करना चाहिए।

* घर में पढ़ने वाले बच्चों का मुंह पूर्व तथा पढ़ाने वाले का उत्तर की ओर होना चाहिए।

* घर के मध्य भाग में जूठे बर्तन साफ करने का स्थान नहीं बनाना चाहिए।

* उत्तर-पूर्वी कोने को वायु प्रवेश हेतु खुला रखें, इससे मन और शरीर में ऊर्जा का संचार होगा।

* अचल संपत्ति की सुरक्षा तथा परिवार की समृद्धि के लिए शौचालय, स्नानागार आदि दक्षिण-पश्चिम के कोने में बनाएं।

* भोजन बनाते समय पहली रोटी अग्निदेव अर्पित करें या गाय खिलाएं, धनागम के स्रोत बढ़ेंगे।

* पूजा-स्थान (ईशान कोण) में रोज सुबह श्री सूक्त, पुरुष सूक्त एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें, घर में शांति बनी रहेगी।

* भवन के चारों ओर जल या गंगा जल छिड़कें।

* घर के अहाते में कंटीले या जहरीले पेड़ जैसे बबूल, खेजड़ी आदि नहीं होने चाहिए, अन्यथा असुरक्षा का भय बना रहेगा।

* कहीं जाने हेतु घर से रात्रि या दिन के ठीक १२ बजे न निकलें।

* किसी महत्वपूर्ण काम हेतु दही खाकर या मछली का दर्शन कर घर से निकलें।

* घर में या घर के बाहर नाली में पानी जमा नहीं रहने दें।

* घर में मकड़ी का जाल नहीं लगने दें, अन्यथा धन की हानि होगी।

* शयनकक्ष में कभी जूठे बर्तन नहीं रखें, अन्यथा परिवार में क्लेश और धन की हानि हो सकती है।

* भोजन यथासंभव आग्नेय कोण में पूर्व की ओर मुंह करके बनाना तथा पूर्व की ओर ही मुंह करके करना चाहिए।

27/08/2015

जिस स्थान पर गायों को रखा जाता है, उसे गोशाला कहते हैं। गोशाला भी मंदिर के समान पवित्र और पूजनीय होती है। जो मनुष्य रोज गोशाला जाकर गायों की सेवा करता है, उसे निश्चित ही भगवान कृष्ण के धाम गोलोक की प्राप्ति होती है। जो मनुष्य परिस्थितियों की वजह से गोशाला में सेवा न भी कर सके, वह अगर पवित्र मन से गोशाला के दर्शन मात्र कर ले तो भी उसे पुण्य की प्राप्ति हो जाती है।

27/08/2015

गाय के दूध के कई फायदे होते हैं। गाय का दूध कई रोगों के लिए दवाई का काम भी करता है। कलियुग में गाय का दूध भी अमृत के समान बताया गया है। जो मनुष्य गाय को दूध देते हुए देख ले, उसे निश्चित ही शुभ फल मिलता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

27/08/2015

गाय हिंदू धर्म में पूजनीय है। शास्त्रों में गाय को भगवान के समान माना जाता है। गाय के गोबर का भी बहुत महत्व है। किसी भी स्थान को पवित्र करने के लिए गाय का गोबर का प्रयोग किया जाता है। यदि मनुष्य पवित्र भावना से गाय के गोबर को मात्र देख ले तो ही उसे पुण्य की प्राप्ति हो जाती है।

27/08/2015

गोमूत्र को बहुत ही पवित्र माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, गोमूत्र में मां गंगा का वास होता है। गोमूत्र को औषधि के रूप में भी उपयोग किया जाता है। इसे पीने से कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। गोमूत्र को धारण करने से मनुष्य की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। लेकिन गरुड़ पुराण के अनुसार, गोमूत्र को केवल देख लेने से ही मनुष्य को पुण्य और लाभ की प्राप्ति हो जाती है।

27/08/2015

ब्यूटी पार्लर एक ऐसी जगह है, जिसका सीधा संबंध सौंदर्य से है। ब्यूटीपार्लर का इंटीरियर डेकोरेशन वास्तु अनुसार होने से अच्छी अर्निंग प्राप्त की जा सकती है। क्या बदलाव किए जाएं जिससे कि ब्यूटीपार्लर से अधिक आर्थिक लाभ हो सके, जानते हैं इसी बारे में -

1.वास्तु के अनुसार सौंदर्य संबंधी कार्यों के लिए आग्नेय कोण शुभ माना गया है। वेक्सिंग, मेनीक्योर, पेडीक्योर, मेहंदी, हेयर कलरिंग, पर्मिंग, फेशियल, दुल्हन के मेकअप की व्यवस्था आग्नेय कोण में करना चाहिए।

2. दर्पण उत्तरी-पूर्वी दीवार पर लगाएं।

3. मुख्य ब्यूटीशियन का बैठने का स्थान दक्षिण दिशा में हो। बैठक व्यवस्था इस प्रकार से हो कि उसका मुंह उत्तर की और रहें।

4.ग्राहकों के बैठने की व्यवस्था भी इस प्रकार से करें कि वायव्य कोण में हो।

5. थ्रेडिंग, हेयर कटिंग, ट्रिमिंग की व्यवस्था उत्तर-पूर्व दिशा में आईने के पास करें।

6.. दीवारों पर मोहक तस्वीरें लगाएं।

7. बेचने वाले सौन्दर्य प्रसाधनों को वायव्य कोण में लगाएं।

8. डस्टबिन की व्यवस्था नैऋत्य कोण में करें।

9. पार्लर से सम्बन्धित मशीनें व उपकरण नैऋत्य कोण में रखें।

10.पार्लर का नामकरण भी किसी स्त्रीलिंग शब्द पर ही किया जाना चाहिए।

27/08/2015

वास्तु अनुसार बनाए गए घर में पंच तत्व संतुुलित होते हैं। जिसकी वजह से घर में रहने वाले सदस्यों को हर प्रकार से लाभ पहुंचाते हैं। लेकिन लाख कोशिश करने के बावजूद भी मकान को पूरी तरह से वास्तुदोष मुक्त रख पाना नामुमकिन होता है। कभी जगह की कमी, तो कभी सी सही दिशा का प्लाॅट नहीं होना । तो कभी प्लाॅट का आकार सही नही होना । जिस कारण अपनी इच्छा के अनुसार निर्माण नहीं करा पाते हैं। और वजह मकान में वास्तुदोष बनता हैं। चाहे बेडरूम गलत दिशा में बना हो या चाहे बाथरूम गलता दिशा में बना हो। लेकिन ये एक उपाय ऐसा है जो कि हर प्रकार के वास्तुदोष के प्रभाव को कम करने की क्षमता रखता है।
वो उपाय है - घर में वास्तुदोषनाशक यंत्र को स्थापित करना। वास्तुदोष नाशक यंत्र को घर में किस प्रकार सथापित किया जाए व कहां इसे रखा जाए जानते हैं इसी बारे में

वास्तुदोष नाशक यंत्र का पूजन
यंत्र में वास्तुमंडल में निवास करने वाले देवतओं को स्थान दिया गया है। घर में पूजा के समय पर वास्तुदोष नाशक यंत्र का भी पूजन किया जाना चाहिए। । जिसके लिए किसी शुभ मूहुर्त में वास्तुदोष नाशक यंत्र घर ले आएं। यह यंत्र को दूध व जल से साफ करें। अब एक सूखे कपड़े से यंत्र को पोंछ दें। पूर्व या उत्तर की ओर मुख कर बैठे। । एक पाटा लें। पाटे पर कपड़ा बिछाएं। अब वास्तुदोष नाशक यंत्र को पाटे पर रख दें। दीपक प्रज्वलित करें। धूप करें। फूल अर्पित करें। । नीचे दिए गए मंत्र को 108 बार जपे। दूसरे दिन यह यंत्र पूजन घर में स्थापित कर दें। वास्तुदोष के प्रभाव में कमी आती है।
मंत्र इस प्रकार है- ऊँ वास्तुदेवताभ्यो नमः ।

23/08/2015

Jin logo ka janm kisi bhi mahine ki 4-8-13-12-17-18-22-26-31 tarikh ko hua he unko awshya hi kisi gambhir sankat.. ya nuksaan hota he.. unko nuksaan se bachne k liye apne name spelling me awashyak parivartan karwa lena chahiye..
Spelling badlo bhagy badlo.

23/08/2015

Cow ko roti dene se kamai me barkat hoti he

23/08/2015

Purav disha me bedroom me sonewale ko heart attack awshya ata he...
Sath hi gehri nind bhi nahi ati he.
Bedroom humesha dakshin disha me hi hona chahiye...

23/08/2015

Rampal
8-9-1951 ko janme
Shani he inka grah swami
Jo uchha pad deta he aur gira bhi dete he...
God maante the inko mannewale..
Ab qaidi bane baithe he...
Rampal name adding up to 1 n he is in 64 year means also 1
19 ko girftar hue...28 tak ki hirasat mili
64 we sal me narendr modi ko pm pad ki uchta mili apne achhe karyo k kaaran
But
Rampal ko jail
Rampal k bure karyo k karan shani ne niche la patka...
I always said
8 is not good number.

23/08/2015

Spelling badlo bhagy badlo
Sidhu paji
Very famous n hardil aziz..
Sare super star ya to October me janme he ya 2-11-20 tarikh ko is dharti par avtarit huye he..
Like amitabh.. dilipkumar.. rajesh khnna.. dev saheb.. lata mangeshkar
Micheal jacson.. shahrukh khan
Octomber mahina name.. fame.. luxry deta he..

23/08/2015

Spelling badlo bhagy badlo
Rahul gandhi n sachin both having good date of birth but name spelling nd signature of RAHUL GANDHI is not good as per astrology while sachin tendulkar having a good spelling n signature .
That why rahul struggling for his position
46 year me koi uchhtam pad milege rahul ko.
Rahul g spelling badlo spelling.

23/08/2015

17 -8-2015
Tripally 8
Not good number
Bankok k bramha mandir me bomb blast.. 17-8-2015 ko
I always said 8 is not a good number..
8 is ruled by SHANI..
shani se bachna mushkil he...
8-17-26 ko janme logo ko sawdhan rehna chahiye...
Spelling badlo bhagy badlo

06/08/2015

रसोईघर के लिए वास्तु टिप्स – Vastu Tips for Kitchen in Hindi
घर में अच्छे स्वास्थ्य और उर्जा के लिए वास्तु उन्मुख एक रसोई घर का एक बहुत महत्वपूर्ण महत्व है. रसोईघर के डिजाइन और वहा उपयोग में आने वाले सामान को जमाने के लिए कुछ वास्तु दिशा निर्देश / टिप्स (Vastu Tips for Kitchen in Hindi) :
रसोईघर का स्थान
रसोई घर के लिए सबसे उपयुक्त स्थान आग्नेय कोण यानि दक्षिण पूर्वी दिशा है जो कि अग्नि का स्थान होता हैं, दक्षिण पूर्व दिशा के बाद, दूसरी वरिएता का उपयुक्त स्थान उत्तर पश्चिम दिशा है |
रसोईघर में सामान रखने के उपयुक्त स्थान
कुकिंग स्टोव, गैस का चूल्हा या कुकिंग रेंज रसोई घर के दक्षिण पूर्वी कोने में होना चाहिए| यह स्टोव इस तरह से रखा जाना चाहिए जिससे की खाना बनाने वाला व्यक्ति, खाना बनाते वक्त पूर्व का सामना करे.
पानी के भंडारण, आर ओ, पानी फिल्टर और इसी तरह के अन्य सामानों के लिए जहा पानी संग्रहीत किया जाता है, उपयुक्त जगह उत्तर पूर्व दिशा हें.
पानी के सिंक के लिए जगह उत्तर पूर्व में होनी चाहिए.
बिजली के सामान के लिए, दक्षिण पूर्व या दक्षिण दिशा है.
फ्रिज पश्चिम, दक्षिण, दक्षिण पूर्व या दक्षिण पश्चिम दिशा में रखा जा सकता है.
खाना पकाने में इस्तेमाल किये जाने वाली वस्तुए, अनाज, मसाले, दाल, तेल, आटा और अन्य खाद्य सामग्रियों, बर्तन, क्रॉकरी इत्यादि के भंडारण के लिए स्थान पश्चिम या दक्षिण दिशा में बनाना चाहिए.
वास्तु अनुसार रसोई घर की कोई दिवार शौचालय या बाथरूम के साथ लगी नहीं होनी चाहिए और रसोईघर, शौचालय और बाथरूम के नीचे या ऊपर भी नहीं होना चाहिए.
रसोई का दरवाजा उत्तर, पूर्व या पश्चिम दिशा में खुलना चाहिए.
खिड़किया और हवा वाहर फेखने वाला पंखा (exhaust fan) पूर्व में होना चाहिए, यह उत्तरी दीवार में भी लगाया जा सकता है.
रसोई घर में पूजा का स्थान यथा संभव नहीं होना चाहिए.
खाने की मेज को रसोई घर में नहीं रखा जाना चाहिए और रखनी पड़ती हें तो यह उत्तर पश्चिम दिशा में रखा जाना चाहिए और भोजन करते समय चेहरा पूर्व या उत्तर की देखते होना अच्छा है.

17/07/2015

विंड चाईम की दिशा
wind chimes direction फेंगशुई में समृद्घि और सुख प्रदान करने वाला एक अन्य गजेट है विंड चाईम। ऐसा माना जाता है कि इसकी मीठी ध्वनि से नकारात्मक उर्जा नष्ट हो जाती है और घर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। विंड चाइम धातु, लकड़ी या सिरेमिक पाइप से बनी होती है। इसमें छोटे-बड़े आकार की घंटियों को इस प्रकार समायोजित किया जाता है कि हवा के झोंके से वह बजने लगती हैं।

विंड चाइम के पाइप अंदर से खाली होते हैं। इसमें पाईप की संख्या एवं इसे लगाने की दिशा का काफी महत्व होता है। पांच पाइप वाली विंड चाइम नेगेटिव एनर्जी दूर करती है। छह पाइप वाली विंड चाइम ड्राइंगरूम के उत्तर-पश्चिम में लगाने से तथा सात पाइप वाली विंड चाइम पश्चिम दिशा में लगाने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।

14/07/2015
Stay home with bad clocks and picture of the Phoenix 41528

खराब घड़ियों को हटाएं

समय देखने के लिए घड़ी ही एकमात्र साधन है। अपने घर या दफ्तर में बंद पड़ी घड़ियों को तुरंत हटा देना चाहिए। जितनी जल्दी हो सके इनसे छुटकारा पा लें, क्योंकि ये बहुत नुकसानदेह हैं। इन टूटी-फूटी या बंद घड़ियों से नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है, जो हानिकारक होती है। घड़ियों को हमेशा अच्छी हालत में रखें। बंद पड़ी घड़ी को मरम्मत करवाकर चालू हालत में रखें। इससे भी आप अपने व्यापार में परिवर्तन महसूस करेंगे।

ऐसा क्यों होता है? इसके पीछे कई सवाल और तर्क खड़े किए जा सकते हैं यहां आपको कुछ ऐसे ही टिप्स दिए जा रहे हैं। 41528

14/07/2015
Take home streamlined architectural 346140

भवन में सबसे आवश्यक कक्ष पूजा घर है। ईशान कोण पूर्व एवं उत्तर से प्राप्त होने वाली उर्जा का क्षेत्र है। इस कोण के अधिपति शिव हैं, जो व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्रदान करते हैं। प्रातः कालीन सूर्य की किरणें सर्वप्रथम ईशान कोण पर पड़ती है।

इन किरणों में निहित अल्ट्रॉवायलेट किरणों में इतनी शक्ति होती है कि वे स्थान को कीटाणुमुक्त कर पवित्र बनाते हैं। पवित्र स्थान पर पूजा करने से व्यक्ति का ईश्वर के साथ तादात्म्य स्थापित होता है जिससे शरीर में स्फूर्ति, शक्ति का संचार होता है साथ ही भाग्य बली होता है।

आग्नेय कोण में अग्नि के देवता के स्थित होने से भोजन को तैयार करने में सहायता मिलती है एवं भोजन स्वादिष्ट होता है। भोजन बनाते समय गृहणी का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिये इसका कारण यह है कि पूर्व दिशा से आने वाली सकारात्मक ऊर्जा गृहणी को शक्ति प्रदान करती है।

ईशान कोण में रसोई नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह जल के क्षेत्र हैं। जल तथा अग्नि में परस्पर शत्रुता है। नैत्य कोण में रसोई बनाने से परस्पर शत्रुता पारिवारिक कष्ट एवं अग्नि से दुर्घटनाओं का भय तथा जन-धन की हानि होती है। दक्षिण दिशा के स्वामी यम हैं तथा ग्रह मंगल हैं। यम का स्वभाव आलस्य एवं निद्रा को उत्तन्न करता है।

सोने से पहले मनुष्य के शरीर से आलस्य एवं निद्रा की उत्पत्ति होने से मनुष्य को अच्छी नींद आती है। भरपूर नींद के बाद शरीर फिर से तरोताजा हो जाता है। इसीलिए परिवार के मुखिया का शयन कक्ष दक्षिण दिशा में होना चाहिए।

अतिथि गृह का वायव्य कोण में होना लाभप्रद है। इस दिशा के स्वामी वायु होते हैं तथा ग्रह चंद्रमा। वायु एक जगह नहीं रह सकते तथा चंद्रमा का प्रभाव मन पर पड़ता है।

अतः वायव्य कोण में अतिथि गृह होने पर अतिथि कुछ ही समय तक रहता है तथा पूर्व आदर-सत्कार पाकर लौट जाता है, जिससे परिवारिक मतभेद पैदा नहीं होते।

मनुष्य के शरीर से आलस्य एवं निद्रा की उत्पत्ति होने से मनुष्य को अच्छी नींद आती है। 346140

05/07/2015

घर, एक ऐसी जगह होती है जहां हम खुलकर सांस लेना चाहते हैं। जहां मीठी-सी नींद पलक झपकते ही आ जाए। जहां कभी पूरे परिवार के साथ हंसी की खिलखिलाहट सुनाई दे तो कभी कोई कोना हमारे एकांत का साथी बने। इसी घर में जब कलह और तनाव मेहमान बनते हैं तो सारे घर की शांति चली जाती है। हमें नहीं पता होता है कि ऐसा क्यों होता है?

क्यों छोटी-छोटी बातों पर हम अपने ही परिवार से झगड़ बैठते हैं? वास्तु शास्त्र बताता है कि जाने-अनजाने घर के निर्माण में कुछ दोष रह जाते हैं, यह उन्हीं का परिणाम होता है। पेश है आसान से वास्तु टिप्स जो आपके घर को दें सुख, शांति और खुशियों की ठंडी छांव।

दरवाजों के कब्जों में तेल डालते रहें अन्यथा दरवाजा खोलते या बंद करते समय आवाज करते हैं, जो वास्तु के अनुसार अत्यंत अशुभ तथा अनिष्टकारी होता है।

घर में विद्युत संबंधी उपकरण जो कर्कश ध्वनि उत्पन्न करते हों जैसे पंखे, कूलर आदि की समय-समय पर मरम्मत करवाते रहें।

घर में कम से कम वर्ष में दो बार हवन में यज्ञ करवाएं।

अगर भवन में जल प्रवाह ठीक न हो या पानी की सप्लाई सही दिशा से न हो तो उत्तर-पूर्व दिशा से यानि ईशान कोण से भूमिगत जल की टंकी का निर्माण कर उसी से भवन में जल की सप्लाई करें।

ऐसा करने से यह वास्तुदोष समाप्त हो जाएगा तथा जल की गलत दिशा से सप्लाई भी बंद हो जायेगी।

घर में पूजास्थल का निर्माण ईशान कोण में करवाएँ।

घर का अग्र भाग ऊंचा तथा पृष्ठ भाग नीचा हो तो निचले भाग में डिश एंटीना, टी.वी. एंटीना आदि को अगले भाग से ऊँचा कर लगा दें। इस प्रकार यह वास्तुदोष पूर्ण रूप से समाप्त हो जायेगा।

यदि घर का पूर्व एवं आग्नेय निचले हों और वायव्य तथा पश्चिम ऊंचे हों तो प्लाट के स्वामी को लड़ाई-झगड़े, विवाद के कारण मानसिक यातना सहनी पड़ती है।

Hindi Vastu Tips
ND
घर का वायव्य कोण निचला होने पर भी शत्रुओं की संख्या बढ़ती है शत्रुओं के कारण गृह-स्वामी को मानसिक तनाव रहता है।

अगर किसी घर का दक्षिण और आग्नेय निचला हो, वायव्य और उत्तर ऊंचे हों तो घर का मालिक कर्ज और बीमारी के कारण मानसिक तनाव में रहता है।

जिस घर का नैऋत्य और दक्षिण निचला होता है और उत्तर और ईशान ऊँचा होता है तो ऐसे घरों के मालिक को अपवित्र कार्य करने और व्यसनों का दास बनने से मानसिक अशांति रहती है और परिवार के लोग भी तनाव में रहते है।

यदि आपकी दो मंजिला मकान बनवाने की योजना है, तो पूर्व एवं उत्तर दिशा की ओर भवन की ऊंचाई कम रखें।

26/06/2015

For example if your birthday is July 22, 1964 then you would add as follows: 7 for July, 2+2=4 for the day, then the year 1+9+6+4= 20=2+0=2.
Take this a step further and add the 7, 4, and 2, reducing it to the single digit of 4. This is your life path number.
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26/06/2015

LIfe path Number 2
You can be a great diplomat, lawyer, minister, and politician. You can also excel in the field of accounts and finance since you are good at calculations of numbers and events.
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26/06/2015

Lucky Business or Lucky Profession for date of birth 1,,19,10, 28: Management, electricity, government, politics, medicine, MBA, department head, professor, business, fine arts, research, chemical field, fire department, surgeon, inventor, military, metal field, etc.

20/06/2015

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29/04/2013
Vastu Bhagyam

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Alternative & Holistic Health Service

29/04/2013

From time immemorial Crystal, one of the Semi Precious Stones also known as Sphatik in India, is regarded as an excellent medium for religious practices. Not only the Hindus, but the Christians and Muslims also use Crystal mala as a Japa Mala or Prayer Beads. Its naturally cool tendency makes it an ideal product to wear to keep one cool.
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